Aditya L1 Mission Live Update: Chandrayaan-3 की सफलता के बाद भारत की अगली तैयारी सूरज (Aditya L1 Solar Misison) की है. शनिवार को 1 बजकर 50 मिनट पर इसरो द्वारा ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्य मिशन आदित्य-एल1 श्रीहरिकोटा से लॉन्च हो गया है.
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Aditya-L1 launch Live Update: Chandrayaan-3 की सफलता के बाद भारत की अगली तैयारी सूरज (Aditya L1 Solar Misison) की है. भारत की स्पेस एजेंसी इसरो(ISRO) का ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्य मिशन आदित्य-एल1 श्रीहरिकोटा से लॉन्च हो गया है. शनिवार का दिन इसरो के लिए बेहद खास होगा. जब देश भर के लोग वीकेंड मना रहे होंगे तो इसरो अपने खास मिशन के लिए भारतीय समय के अनुसार दो सितंबर 2023 को पूर्वाह्न 11 बजकर 50 मिनट पर प्रक्षेपित करने के लिए उल्टी गिनती शुरू कर रहा होगा.
आदित्य-L1 सौर मिशन का प्रक्षेपण 2 सितंबर को शनिवार के दिन सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर किया जाएगा. देश के जाने माने ज्योतिषों की माने तो ये बेहद महासंयो है. यह समय 'अभिजीत मुहूर्त' का होगा जिसे ज्योतिषशास्त्र में शुभ फलदायी माना गया है. जिस जगह से यह लांच यानी प्रक्षेपण किया जाएगा वह जगह आंध्र प्रदेश का श्रीहरिकोटा है.
2 सितंबर के दिन श्रीहरिकोटा में सूर्योदय सुबह 6 बजकर 1 मिनट पर तथा सूर्यास्त सायं 6 बजकर 7 मिनट पर होगा. यहां मध्याह्न दोपहर 12 बजकर3 मिनट पर होगी जिससे 24 मिनट पहले और बाद में अभिजीत मुहूर्त योग रहेगा जो कि ज्योतिषाचार्य इस मुहूर्त को शुभ मान रहे हैं.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भगवान श्री रामचंद्र का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था. ठीक उसी प्रकार चंद्रवंशी भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात को पड़ने वाले अभिजीत मुहूर्त में हुआ था. इसीलिए श्रीराम और श्रीकृष्ण इन दो महान अवतारों के प्राकट्य वाले अभिजीत मुहूर्त की महत्ता हमेशा विशिष्ट है.
इसरो ने अपने ऑफिसियल सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर पोस्ट भी किया है. इसमें लिखा है कि ‘‘ पीएसएलवी-सी57 / आदित्य एल1 मिशन : भारतीय समय के अनुसार दो सितंबर 2023 को पूर्वाह्न 11 बजकर 50 मिनट पर प्रक्षेपित करने के लिए उल्टी गिनती शुरू.’’
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शनिवार के दिन ISRO का मिशन Aditya-L1 को लांच करने जा रहा है, जिसकी सारी तैयारियां पूरी का जा चुकी हैं. कुल लोगों के मन में विचार भी आ रहा है कि आखिर शनिवार को ही लांच करने का दिन क्यों चुना गया. शनिवार को सप्ताह का सबसे डरावना और मनहूस दिन भी मानते हैं. लोग इसे शनि का दिन मानते हैं और आमतौर पर इस दिन कुछ खास काम या कोई शुभ काम नहीं करने की कोशिश करते हैं. इसे दुर्भाग्य का दिन भी कहा जाता है. तो फिर ISRO ने इस दिन को ही क्यों चुना. क्या ये महज संयोग है या फिर शनि इस मिशन को कामयाब बनाने जा रहा है.
शनि सूर्य देव के पुत्र हैं. हालांकि, दोनों के बीच में वैचारिक मतभेद के कारण कुछ लोग इसे शत्रुवत मानते हैं, किंतु ऐसा नहीं है. हां, मतभेदों के कारण उनमें विपरीतता का स्वभाव है. किसी की कुंडली में सूर्य और शनि की युति उस व्यक्ति को विद्वान और आत्मकेंद्रित बनाती है. ऐसे लोग सुखी, दृढ़ निश्चयी, गुणवान और अवगुणों से रहित तथा वृद्धजनों के सेवक होते हैं.
शनिदेव के जन्म के बारे में भी कई कथा और मान्यताएं प्रचलित हैं. वैसे तो पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव की पत्नी संज्ञा कही जाती हैं, जबकि सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव को छायापुत्र के नाम से पुकारा जाता है. इसके साथ ही कहा जाता है कि शनिदेव और उनके पिता सूर्यदेव दोनों की कभी नहीं बनी. उनका आपस में हमेशा से 36 का आंकड़ा रहा है.
आदित्य-L1 के प्रक्षेपण के समयकी बात करें तो यहां वृश्चिक लग्न उदय का समय होगा और संयोग कहे या ज्योतिष गणित चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के समय भी वृश्चिक लग्न का उदय हो रहा था. बात करें सूर्य की तो वर्तमान समय में अपनी स्वंय की राशि सिंह में गोचर कर रहे हैं और उन पर मेष राशि से उनके मित्र रशि गुरु की पांचवीं दृष्टि पड़ रही है जो की आदित्य-L1 के लिए अति शुभ माना गया है. आदित्य-L1 के प्रक्षेपण के दिन कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि तथा उत्तरभाद्रपद नक्षत्र रहेगा जो कि आदित्य-L1 के प्रक्षेपण मुहूर्त भी के लिए बेहद शुभ और खास समय है, जो कि इस सौर मिशन को बड़ी सफलता देगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-L1 मिशन के लॉन्च से पहले, तिरूपति जिले के चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की.