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इस दरगाह में पॉलीथिन और ताला बांधने से पूरी हो जाती है दुआ

khamman Baba Dargah: यूपी की राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन की पटरियों के बीच सालों पुरानी खम्मन पीर बाबा की एक दरगाह स्थित है. खम्मन पीर बाबा की दरगाह के पीछे और आगे से ट्रेनें जाती हैं. यहां गुरुवार के दिन दुआ मांगने के लिए खास इबादत होती है. यहां पर मुराद पूरी होने के लिए लोग पॉलिथीन और ताला बांधते हैं. 

खम्मन पीर बाबा की दरगाह

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खम्मन पीर बाबा की दरगाह

चारबाग रेलवे स्टेशन की पटरियों के बीच खम्मन पीर बाबा की दरगाह है, जो गंगा जमुनी तहजीब की एक मिसाल है. इस दरगाह में मुस्लिम और हिंदू दोनों धर्म के लोग आते हैं. साथ ही अपनी दुआ को पूरी होने के लिए ताला और पॉलिथीन बांधते हैं. वहीं, मन्नत पूरी होने के बाद लोग यहां चादर चढ़ाते हैं और रेवड़ियों का भोग लगाते हैं. 

अंग्रेजों के जमाने से पहले की है दरगाह

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अंग्रेजों के जमाने से पहले की है दरगाह

कहा जाता है कि यह खम्मन पीर बाबा की दरगाह अंग्रेजों के जमाने से पहले की है. अंग्रेजों के शासन के दौरान जब यहां रेलवे ट्रैक बिछाने का काम होने लगा तो, यहां कुछ अजीब हुआ. माना जाता है कि जो पटरियां यहां सुबह बिछाई जाती थी, वो अगले दिन अपनेआप उखड़ जाती थी. ऐसा लगातार एक हफ्ते हुआ. 

 

चीफ इंजीनियर के सपने में आए बाबा

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चीफ इंजीनियर के सपने में आए बाबा

ये देख अंग्रेजों के चीफ इंजीनियर काफी परेशान हो गए. ऐसे में एक दिन चीफ इंजीनियर के सपने में बाबा आए और उन्होंने कहा कि यहां उनकी आरामगाह है, इससे छेड़छाड़ बिल्कुल भी न करें. इसके बाद चीफ इंजीनियर ने बाबा की दरगाह के हिस्से को छोड़ते हुए पटरियों को मोड़कर बिछाने का फैसला लिया. 

 

एक से दो एकड़ में फैली है दरगाह

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एक से दो एकड़ में फैली है दरगाह

जानकारी के मुताबिक, अंग्रेजों के शासन के वक्त पहले यहां भदेवा नाम का जंगल था. यह दरगाह एक से दो एकड़ में फैली है और यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी धर्म के लोग दुआ मांगने आते हैं. 

दरगाह का पूरा नाम

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दरगाह का पूरा नाम

खम्मन पीर बाबा की दरगाह पर हर गुरुवार सुबह 5 से लेकर रात 10 बजे तक लोग आते हैं. जानकारी के अनुसार, इस दरगाह का पूरा नाम शरीफ शाह शायद कयामुद्दीन है.