कार्यक्रम में कृषि विशेषज्ञ डॉ. जगमोहन सैनी ने बताया कि फसलों में उर्वरक का सही ढंग से प्रयोग न होने के कारण किसानों को खेती में इनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. मृदा उत्पादकता को बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले उर्वरक एक कीमती साधन है.
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Sangod: चम्बल फर्टिलाइजर्स की कृषि विकास प्रयोगशाला की ओर से क्षेत्र के कुशालीपुरा और बृजलिया गांवों में किसान जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम में किसानों को फसलों में संतुलित उर्वरक उपयोग को लेकर जानकारी दी गई.
कार्यक्रम में कृषि विशेषज्ञ डॉ. जगमोहन सैनी ने बताया कि फसलों में उर्वरक का सही ढंग से प्रयोग न होने के कारण किसानों को खेती में इनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. मृदा उत्पादकता को बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले उर्वरक एक कीमती साधन है. इनकी संतुलित मात्रा का उचित समय पर समुचित विधि द्वारा फसल विशेष के लिए प्रयोग में लाना नितांत आवश्यक है, जिससे कि इनका पूरा-पूरा लाभ मिल सके. इसके लिए उन्होंने किसानों को फसलों में उर्वरक उपयोग क्षमता बढ़ानें के तरीके बताये गये.
उर्वरक और खाद की सही मात्रा डालें
उन्होंने बताया कि इन कार्यक्रमों में किसानों को उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने के विषय पर विस्तृत जानकारी दी जा रही है, जिससे किसान अपने खेतों में उपयोग करने वाले उर्वरक और खाद की सही मात्रा, सही तरीके, सही समय पर दे सकें, जिससे वह फसल उत्पादन में लाभ व उर्वरकों में व्यर्थ लगने वाले खर्च से बच पाएंगे. किसान मिट्टी में सही मात्रा, सही अनुपात में उर्वरकों का उपयोग तभी कर सकते हैं, जब वह मिट्टी परीक्षण कराएं. इससे मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी और अधिकता का पता चलता है.
किसानों को दिए जाएंगे मृदा स्वास्थ्य कार्ड
मृदा परीक्षण बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाएंगे. इन कार्यक्रमों द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन और महत्व के बारे में किसानों को सुझाव दिए गए. किसानों को बताया गया कि फसल अवशेष को जलाना नहीं चाहिए उन्हें खेतों में ही छोड़कर, पूसा अपघटक कैप्सूल का छिड़काव कर, सिंचाई कर खेत जोत देना चाहिए, जिससे खेत में अवशेष के पोषक तत्व मिल जाए.
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