भीषण गर्मी से अस्पतालों में आ रहे 'सनबर्न' के मरीज, खुजली के रोगियों की संख्या में भी हुआ इजाफा
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भीषण गर्मी से अस्पतालों में आ रहे 'सनबर्न' के मरीज, खुजली के रोगियों की संख्या में भी हुआ इजाफा

चिकित्सा सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन ग्रामीण व शहरी अस्पतालों में त्वचा झुलने सहित एलर्जी से पीड़ित मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं. 

 भीषण गर्मी से अस्पतालों में आ रहे 'सनबर्न' के मरीज, खुजली के रोगियों की संख्या में भी हुआ इजाफा

Pilalda: भीषण गर्मी के कारण अब लोग त्वचा संबंधी रोगों की चपेट में भी आने लगे हैं. तेज धूप में निकलने के दौरान लोगों की लू के थपेड़ों से त्वचा भी झुलसने लगी है. सुबह से ही सूर्य का रौद्र रूप शुरू हो जाता है, जो दिन चढ़ने के साथ ही बढ़ता जाता है. जिसके चलते लोग ‘सन बर्न’ की चपेट में आ रहे हैं. जैसे-जैसे धूप का असर तेज होने लगता है, वैसे ही त्वचा पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने लगता है.

इसका सबसे  ज्यादा असर शरीर के खुले अंगों हाथ, मुंह, पैर पर होता है. सूर्य की तपिश से त्वचा झुलसने के साथ खुजली होने लगती है. लोग उपचार के लिए अस्पताल भी पहुंच रहे हैं. लोगों के अनुसार दोपहर के दौरान तो सूर्य की तपिश प्रचंड रहती है. जिससे लोगों का घर से बाहर निकला भी मुश्किल हो जाता है. आवश्यक कार्यवश अगर कोई बिना सावधानी बरते बाहर निकलता है तो सनबर्न की चपेट में आ ही जाता है.

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चिकित्सा सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन ग्रामीण व शहरी अस्पतालों में त्वचा झुलने सहित एलर्जी से पीड़ित मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं. नगर के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व दाधीच अस्पताल में एलर्जी संबंधी रोगी अधिक आ रहे हैं. जिनमें मजदूर तबके की संख्या अधिक है. गर्मी के मौसम में भी कई क्षेत्रों में किसान सब्जी की फसल करते हैं. ऐसे में धूप में भी खेतों में सब्जी की फसल की सिंचाई और अन्य कार्य के चलते किसानों को जुटा रहना पड़ता है. वहीं श्रमिक भी प्रतिदिन धूप में कार्य करने से सनबर्न की चपेट में आ जाते हैं.

100 में से 70 मरीज लू और तापघात के

अस्पताल में अधिकतर रोगी ग्रामीण क्षेत्र के देखे जा रहे हैं. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार सनबर्न त्वचा में सूरज की पैराबैंगनी किरणों के अधिक संपर्क में आने के कारण होता है. इन किरणों को आंखों से देख पाना असंभव है. बार-बार तेज धूप में जाने से सनबर्न का असर ज्यादा होता है. इसके कारण त्वचा को नुकसान और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

यह होते हैं सनबर्ग के लक्षण

चिकित्सकों के मुताबिक त्वचा पर गुलाबी व लालीमा होना, स्पर्श करने पर त्वचा पर गर्माहट महसूस होना, दर्द, असहजता और खुजली होना, त्वचा पर सूजन, सिरदर्द, बुखार, मितली व थकान का अनुभव होना सनबर्ग के लक्षण हैं.

बचाव की यह दी सलाह

सीएचसी में कार्यरत चिकित्साधिकारी डॉ.श्याम मालव,डॉ. मोहम्मद परवेज खान व छीपड़दा गांव निवासी वरिष्ठ मेडिसीन विशेषज्ञ डॉ. राजेश सामर ने बताया कि दिनोंदिन तापमान बढ़ने से ग्रामीणों को परेशानी अधिक आ रही है. ऐसे में धूप की बजाय छाया में बैठें. धूप में आंखों की रक्षा के लिए सनग्लास पहने, संभव हो तो दोपहर के समय धूप में ना निकलें. शरीर को धूप से बचाने के लिए पूरी बांहों के कपडे़ पहनें. हाथ व पैरों को सही तरह से ढक कर निकलें. धूप से बचने के लिए सनक्रीम का प्रयोग करें. पानी का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करें.

इनका यह है कहना

धूप में तेजी के दौरान राहगीर सनबर्न की चपेट में आ रहे हैं. लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र से अधिकतर उल्टी-दस्त, बुखार सहित सनबर्न के पीड़ित आ रहे हैं. लू या तापघात के लक्षण होने पर तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. ऐसे मौसम में छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखे. ओआरएस के घोल का प्रयोग करें. बार-बार पानी पिलाते रहे.

 

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