कोटा : वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय में ट्रेनिग के नाम पर हो रही धांधली, सीखो कमाओ योजना में हुआ बड़ा खेल
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कोटा : वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय में ट्रेनिग के नाम पर हो रही धांधली, सीखो कमाओ योजना में हुआ बड़ा खेल

कोटा के वर्धमान महावीर खुला विश्व विद्यालय में विश्व विद्यालय ने अपने फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए विधानसभा में लगे सवाल पर गलत जबाब दे दिया.

वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय

Kota: कोटा के वर्धमान महावीर खुला विश्व विद्यालय में विश्व विद्यालय ने अपने फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए विधानसभा में लगे सवाल पर गलत जबाब दे दिया. वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रो आरएल गोदारा द्वारा केन्द्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा मौलाना आजाद फाउंडेशन के तहत मिले, दो करोड़ 24 लाख 33 हजार 670 रूपए की राशि को खुर्द-बुर्द किए जाने के मामले में लगातार नई-नई पर्तें खुलती जा रही हैं. फाउंडेशन द्वारा ये पैसा विश्वविद्यालय को इसलिए दिया गया था कि इससे अल्पसंख्यक परिवारों के बच्चों को सीखों और कमाओ योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा सकें और उनका नौकरी के लिए प्लेसमेंट भी कराया जा सकें. इसमें कुल 1400 विद्यार्थियों को शामिल किया जाना था, जिनमें 400 विद्यार्थियों को लैब टेक्नीशियन, 500 विद्यार्थियों को असिस्टेंट फीजियोथिरैपिस्ट तथा अन्य 500 विद्यार्थियों को डायलिसिस टेक्नीशियन के तौर पर शामिल किया गया था. इसके लिए विश्वविद्यालय के उद्यमिता एवं कौशल विकास केन्द्र के निदेशक प्रो बी. अरूण कुमार और मौलाना आजाद फाउंडेशन के सचिव के बीच एक एमओयू भी साइन कराया गया था, इस ट्रेनिंग का विज्ञापन भी अखबार में निकाला गया और वेबसाइट पर भी उसे अपलोड किया गया था.

पूर्व में फाउंडेशन के द्वारा जारी करोड़ों की राशि को कुलपति गोदारा द्वारा मात्र चंद दिनों में खुर्द-बुर्द किए जाने को लेकर राज्यपाल और राज्य सरकार को शिकायत की गई थी, जिसकी अलग-अलग कमेटियों से जांच कराई गई.राजभवन की जांच में कुलपति गोदारा दोषी पाए गए और पूरे मामले को राजभवन ने एसीबी से जांच कराने की राज्य सरकार से सिफारिश की, लेकिन मामला अब तक कागजों में ही दबा हुआ है. दूसरी ओर इस मामले को लेकर कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा में नियम-131 के तहत सवाल पूछा तो, उसका गलत जवाब विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया. मजेदार बात यह है कि ट्रेनिंग के लिए जिन पदों का विज्ञापन किया गया था, उसका प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया. विश्वविद्यालय ने अपने जवाब में लिखा हैं कि विद्यार्थियों को ट्रेनिंग मेडिकल रिकार्ड्स एंड हेल्थ टेक्नीशियन और प्लमिंग सुपरवाइजर में दिलाइ गई जबकि प्रोजेक्ट डायरेक्टर जे के शर्मा द्वारा जो विज्ञापन प्रकाशित कराया गया, उसमें मेडिकल लैब टेक्नीशियन, असिस्टेंट फीजियोथिरैपिस्ट और डायलिसिस टेक्नीशियन को ट्रेनिंग दिलाने की बात कही गई और विधानसभा को भ्रामक जानकारी दे दी गई.

वीएमओयू के कुलपति प्रो आरएल गोदारा द्वारा मौलाना आजादा फाउंडेशन की करोड़ों की राशि को खुर्द-बुर्द किया जाना एक बड़ा मामला है और उद्यमिता एवं कौशल विकास केन्द्र के निदेशक प्रो बी. अरूण कुमार द्वारा विधानसभा को गुमराह करना और भी खतरनाक है तथा सीधे-सीधे मुकदमे की श्रेणी में आता है. मेडिकल की ट्रेनिंग दिलाने की जगह प्लम्बरिंग की ट्रेनिंग दिला देना, यह अपने आप में हास्यास्पद मामला है.

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