नागौर के मेड़ता शहर के मीरी कॉलोनी के लोग अपने घरों में ही डर के साए में रह रहे हैं. डर की वजह ये है कि यहां पेयजल सप्लाई की पाइप लाइन लीकेज होने से घर की सतह पर पानी जमा हो जाता है, लंबे समय से पानी जमा होने की वजह से जमीन धसने लगी है. घर की दीवारों पर दरारें आने लगी है. लोगों में इस बात को लेकर काफी चिंता है!
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Merta News: नागौर जिले के मीरा नगरी मेड़ता सिटी की कई कॉलोनियों के वाशिंदे अब डर के साए में अपना जीवन बिताने को मजबूर हो गए हैं, यूं कहें तो कभी राम तो कभी राज के रूठ जाने से इन मोहल्ले वासियों पर जान का खतरा मंडराने लग गया है. मेड़ता शहर के कई मोहल्लों में जमीन धंसने के चलते मकानों की दीवारों में 3 से 4 इंच गहरी दरारें पड़ जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा, जिसके चलते मोहल्ले में रहने वाले लोगों का सुखचैन छीन गया है.
घरों के हालात यह बन गए हैं कि लोहे की बड़ी गाडर और स्थाई पिलर बनाकर घरों को गिरने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है, जहां एक ओर ऐसी परिस्थिति में घरों के दरवाजे तक बंद नहीं हो रहे हैं.
घरवाले रात दिन जागकर अपनी जान माल की रक्षा कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन का सख्त रवैया और जान-माल के नुकसान से बचाने के लिए कोढ़ में खाज का काम कर रहा है. मोहल्ले वासियों का कहना है कि पेयजल सप्लाई के लिए डाली गई पाइप लाइन लीकेज की वजह से पानी घरों के नीचे आ चुका है, जिससे पानी घरों की निचली सतह में लंबे समय से जमा होने के चलते मकानों के नीचे दलदली भूमि हो गई है.
जिसके कारण अब घरों में दरारें आने शुरू हो गई हैं. मोहल्ले वासियों का कहना है कि जब भी पाइपलाइन लिकेज के कारण जलदाय विभाग द्वारा पेयजल सप्लाई की जाती है, उस समय पाइपलाइन का पानी बड़ी तेजी के साथ घरों की नीवों में आने लगाता है.
जिससे मकान गिरने की आशंका बढ़ रही है. पेयजल सप्लाई खोलने का समय निर्धारित नहीं होने से परिवार वालों को दिन रात जागकर पेयजल सप्लाई का ध्यान रखना पढ़ रहा है. प्रशासन की लापरवाही अब भी देखने को मिल रही है. 6 अक्टूबर को घटित इस घटना के पश्चात अब तक पेयजल सप्लाई लीकेज को दुरुस्त करने के लिए कोई कारगर कदम जलदाय विभाग द्वारा नहीं उठाया गया, बल्कि प्रशासन द्वारा किसी अप्रिय घटना से पूर्व सूचना देने एवं हादसे की आंच उन तक नहीं पहुंचे, इसलिए 3 दिन में घर खाली करने का एक नोटिस जारी कर लोगों को थमा दिया गया.
तीन दिन के अंदर क्षतिग्रस्त मकान खाली करने को कहा गया है, नोटिस में लिखा गया कि क्षतिग्रस्त मकान किसी भी हालत में घर खाली करना होगा अन्यथा कोई हादसा होता है प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. वहीं, मौहल्लेवासियों का कहना है कि खुशियों की दिवाली के समय पर जहां लोग त्योहार की तैयारियों में जुटे हैं, ऐसे में प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. तिनका-तिनका जोड़कर बनाए गए अपने सपनों के संसार को छोड़ने का आदेश एक तुगलकी फरमान से ज्यादा कुछ नहीं.
घरों में दरारें की सूचना मिलते ही मेड़ता विधायक इंदिरा देवी बावरी और तहसीलदार ने मौका मुआयना किया. क्षतिग्रस्त मकान की जानकारी ली. इस दौरान मेड़ता विधायक इंदिरा देवी बावरी ने कहा कि मेड़ता सिटी में पिछले तीन साल से मकानों में दरारें आने का सिलसिला जारी है, सरकार को अलग से एक टीम गठित कर इन मकानों का सर्व करवाना चाहिए.
साथ ही प्रशासन को इन परिवारों की ओर देखना चाहिए. जो क्षतिग्रस्त मकान है उनको सरकार उचित मुआवजा दे. जब तक क्षतिग्रस्त मकानों की मरम्मत नहीं हो जाती इन परिवारों को रहने के लिए उचित स्थान दें
आपको बता दें कि मेड़ता शहर में जमीन धसने का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पूर्व दो बार छाजेड़ो के मोहल्ले में भी कई घरों में बड़ी दरारें आईं, मगर प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कोई राहत उन्हें प्रदान नहीं की गई. कभी प्राकृतिक रूप से तो कभी प्रशासन की गलती से तिनका-तिनका जोड़कर बनाया गया आशियाना उजड़ने का मंजर देख कर बूढ़ी आंखें रो-रोकर पथरा सी गई हैं.
एक तरफ परिवार की जान पर बने खतरे का डर तो दूसरी तरफ आशियाने को पुनः खड़े करने की चिंता ने परिवार के मुखिया की कमर तोड़ दी है. मेड़ता की इस घटना ने जलदाय विभाग की कार्यप्रणाली सहित प्रशासनिक अमले की कार्यशैली पर कई सवालिया निशान लगा दिए है. देखना यह है कि जनता को सुशासन देने का वादा करने वाला यह प्रशासन पीड़ित परिवारों को किस तरह राहत पहुंचा कर इनकी खुशियों की दिवाली को रोशन करता है.
रिपोर्टर - दामोदर ईनाणिया
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