राजस्थान के पाली में राष्ट्रीय स्काउट गाइड जंबूरी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 4 जनवरी को जंबूरी का उद्घाटन किया. इस दौरान उनकी सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई. इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसको लेकर प्रशासन और राज्य सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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Pali News: राजस्थान के पाली में 18वीं राष्ट्रीय स्काउट गाइड जंबूरी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 4 जनवरी को रोहट के पास निंबली ब्राह्मानन में जंबूरी का उद्घाटन किया. जंबूरी में देश-विदेश से आए 37 हजार स्काउट गाइड ने भाग लिया था, जिसमे दो बड़ी गंभीर चूक सामने आई एक सुरक्षा को लेकर तो दूसरी दुष्रा झंडारोहण को लेकर थी.
राष्ट्रपति के आगमन के दिन राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र व सीएम अशोक गहलोत भी हेलीपेड पर मौजूद रहे. थ्री लेयर उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यस्था की गई थी. राष्ट्रपति की सुरक्षा का जिम्मा सेना की बेस्ट यूनिट देखती है, चुंकि राष्ट्रपति तीनों सेनाओं की चीफ होती है, तो उनकी सूरक्षा में प्रसिडेंटस बोडिगार्ड (पीबीजी) होती है. पीबीजी में कुछ ही सेनिको का चयन होता है, इसमें चार ऑफिसर्स, 11 जेसीओ ओर 161 जवान होते हैं.
महिला के खिलाफ नहीं हुई कोई कार्रवाई
राष्ट्रपति के हेलीपेड पर उतरते ही एक महिला जेईएन अंबा सियोल जो कि रोहट के 3 जलदाय विभाग में सरकारी कर्मचारी है जिसने राष्ट्रपति के पैर छू लिए. इतनी बड़ी गंभीर चूक सुरक्षा में हुई, लेकिन सभी अनदेखा करते गए. एसपी ने महिला जेईएन को रोहट पुलिस के साथ थाने भेजा, वहां औपचारिक पूछताछ के बाद छोड़ दिया. महिला के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस चूक को राज्यसरकार ने भी हल्के में लिया. महिला को लेकर पुलिस ने कोई कागजी कार्रवाई नहीं की.
राष्ट्रपति के हाथों उल्टा झंडारोहण
पहली चूक तो हुई ही थी कि दूसरी सबसे बड़ी ओर एक चूक झंडारोहण के समय देखने को मिली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मुर के ध्वजा जंबूरी के उद्घाटन के लिए स्काउट का झंडारोहण कराया गया, लेकिन वो झंडा भी उल्टा. मतलब स्काउट का झंडारोहण भी राष्ट्रपति के हाथ उल्टा झंडे से कराया गया. पचास हजार से अधिक लोग जिसमे राज्य के राजयपाल कलराज मिश्र ,राज्य के मुख्या अशोक गहलोत व सरकार के मंत्री , सेक्रेटरी और सबसे बड़ी बात राजस्थान राज्य स्काउट के कमिश्नर व सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार निरंजन आर्य जिनके हाथ मे पूरी कमान थी, वो मौजूद थे. स्काउट गाइड के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राष्ट्रीय कमिश्नर भी मौजूद रहे, लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नही गया. ये न केवल स्काउट के झंडे का अपमान था, बल्कि राष्ट्रपति के हाथों उल्टा झंडारोहण कराकर प्रशासन ने बहुत बड़ी लापरवाही साबित की.
राज्यसरकार व जिला प्रशासन पूरा मौन
एक ही दिन में दो-दो बड़ी चूक और राज्यसरकार व जिला प्रशासन पूरा मौन. आखिर किसके दबाव में प्रशासन मौन रहा. क्यों नहीं उस महिला जेईएन के खिलाफ कार्रवाई की गई. सेना के विशेष जवानों के हाथ सुरक्षा होने के बाद भी महिला राष्ट्रपति के हेलीपेड पर कैसे पहुंची. ये इंटेलिजेंस व खुफिया एजंसियों पर भी सवाल उठाता है.
इस मामले को लेकर अब कोई भी अधिकारी नहीं बोल रहा है. अब देखना इस बात को है कि क्या इस गंभीरचुक के मामले में बड़े अधिकारियों पर राज्य सरकार कार्रवाई करेगी या फिर छोटी मछलियों पर कार्रवाई कर इतिश्री कर लेगी.