घेवर बिल्कुल मधुमक्खी के छत्ते की नजर आता है. आज के समय घेवर 450 से लेकर 1000 रूपये प्रति किलो दुकान में मिलता है. सादा घेवर सस्ता है बल्की पिस्ता,बादाम और मावे वाला घेवर महँगा.बादाम और मावे वाला घेवर लोग ज्यादा पसंद करते हैं.मैदा,घी,दूध ,चीनी ,इलायची,केसर के धागे ,बादाम ,पिस्ते,घी ,रबडी़
सावन के महीने में घेवर की सुगन्ध पूरे शहेर को महका देता है और तीज व रक्षाबंधन के अवसर पर घेवर की दुकानों पर भीड़ देखने को मिलती है. घेवर भी का स्वाद दो प्रकार का होता है, फीका और मीठा. सावन माह में घेवर की माँग को पूरा करने के लिए दुकानदार महीनों पहले काम आरंभ कर देते है.
एक स्वीट डिश है घेवर, जिसका स्वाद देश के हर एक कोने तक पहुंच चुका है. स्वाद से भरपूर घेवर को त्यौहारों पर तो बनाया ही जाता है, लेकिन इसके साथमौके-बेमौके भी इसका स्वाद लिया जा सकता है. लोगों ने बाजार में तो घेवर का स्वाद लिया है . इसके अलावा इसमें दूध का भी प्रयोग होता है.घेवर बनाने के लिए लगभग 1 घंटे का वक्त लगता है.आप इसे कभी भी बनाकर खा सकते हैं.
ऐसी मान्यता है की घेवर भारत में पर्शिया से आया था, लेकिन इसकी भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. राजस्थान के कई दुकानदार इसे ईरान की एक मिठाई से प्रेरित व्यंजन बताते हैं. इसे लोग इम्युनिटी बूस्टर भी कहते हैं.
राजस्थानी घेवरघर पर इसे बना नहीं पाने का मलाल है तो कोई बात नहीं. घेवर बनाने के लिए मैदे का इस्तेमाल किया जाता. है.