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पपेट शो से जुड़ी दिलचस्प बातें

कठपुतली खेल का राजस्थान के इतिहास जुड़ा हुआ है और यह वहां की संस्कृति का हिस्सा है, कठपुतली खेल को पपेट्री या कठपुतली खेल भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है लकड़ी की गुड़िया का खेल, यूनेस्को द्वारा इसे भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग माना गया है, यह खेल आज भी राजस्थान में देखने के मिलता है

लकड़ी की कठपुतलियाँ

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लकड़ी की कठपुतलियाँ

कठपुतलियाँ आमतौर पर लकड़ी से बनी होती हैं और उनकी बड़ी-बड़ी आँखें होती हैं और उन्हें पारंपरिक राजस्थानी पोशाक पहनाई जाती है और इसे स्टिंग द्वारा नियंत्रित किया जाता है

कठपुतलियाँ

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कठपुतलियाँ

कठपुतलियाँ आमतौर पर एक लंबी स्कर्ट पहनती हैं जो कठपुतली की बाहों को ढकती है, कठपुतली शो एक मंच पर किया जाता है और कलाकारों को छुपाने के लिए मंच के पीछे पर्दा लगा दिया जाता है, जिससे कठपुतली कलाकार कहानी को अच्छे से दिखा पाते हैं.

कठपुतली कलाकार

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कठपुतली कलाकार

कठपुतली शो या नाटक स्थानीय नायकों, लोककथाओं और सामाजिक मुद्दों की कहानियों को दर्शाते हैं, कठपुतली कलाकार मुख्य रूप से कृषक थे और बाद में शाही परिवारों के लिए मनोरंजनकर्ता के रुप में काम पर रख लिया गया

कठपुतली खेल की लोकप्रिय कहानी

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कठपुतली खेल की लोकप्रिय कहानी

कठपुतली खेल में सबसे लोकप्रिय कहानी 17वीं शताब्दी के नागौर के शासक अमर सिंह राठौड़ की है, जिन्होंने मुगल सम्राट शाहजहाँ को चुनौती दी और राजपूताना वीरता का प्रतीक बन गए, आज भी राजस्थान की मिट्टी अपने साहसी वीरो की कहानियां बताता है, यहां का का पपेट शो देखने लोग देश-विदेश से आते हैं.

Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है