साल बदले, महीने बदले, दिन बदले, नहीं बदली तो यहां की जरा सी बारिश होते ही जलभराव की समस्या.
जरा सी बारिश होते ही यहां का मुख्य बाजार मानों नदी बन जाता है. बारिश ना भी हो तो भी शहर के कई हिस्सों में पानी जमा रहता है. जिसके चलते व्यापारियों का व्यापार चौपट हो रहा है.
बारिश के मौसम में सब्जी मंडी सहित निचले इलाकों में कई महीनों तक पानी भरा रहता है जिसके चलते सब्जी व्यापारियों का व्यापार चौपट हो जाता है.
चुनाव के समय पानी निकासी के मुद्दे पर सरदारशहर में राजनीति होती हैं. दशकों से राजनेता वादे करते हैं और चुनाव जीतकर भूल जाते हैं.
सरदारशहर में जलभराव की समस्या नई नहीं है, बल्कि दशकों पुरानी है. लेकिन इस मुद्दे पर दोनों ही बड़ी पार्टी द्वारा राजनीति होती रही है.
सरदारशहर की बनावट प्यालेनुमा है और शहर का सबसे निचला इलाका मुख्य बाजार है जिसके चलते शहर का पूरा का पूरा पानी घंटाघर के पास जमा होता है.
जिस समय शहर की बसावट की गई थी, उस समय छोटे नाले बनाए गए थे. समय के साथ-साथ शहर की आबादी बढ़ती गई और यह नाले छोटे पड़ गए. इस वजह से भी पानी निकासी नहीं हो पाती है.
यहां पर बनी हुई गिनाणीयों की मोटरों का समय पर सही से रखरखाव व साफ-सफाई समय पर नहीं होने के चलते भी बारिश के दिनों में पानी की निकासी सही प्रकार से नहीं हो पाती है, जिसके चलते भी गंदा पानी जमा हो जाता है.
शहर का मुख्य बाजार पानी से लबालब हो जाता है. यहां तक की पानी दुकानों में घुस जाता है और व्यापारियों का करोड़ों रुपए का नुकसान कर देता है.