Rajasthani Bandhani Print: राजस्थान के बंधेज प्रिंट के दुपट्टे और साड़ियां पूरे देश में काफी पसंद किए जाते हैं. बारिश के दिनों में महिलाओं को ये बेहद पसंद आती हैं.
हर दूसरे दिन फैशन बदलता है, लेकिन कुछ ट्रेडिशनल आउटफिट्स कभी भी ट्रेंड से बाहर नहीं होते हैं. भारत में साड़ी पारंपरिक परिधान है, जो हर महिला की पहली पसंद होती है. लेकिन आज के मॉर्डन लाइफस्टाइल में भी लड़कियों को बांधनी प्रिंट की साड़ियां बेहद पसंद आती हैं.
इसका इतिहास रेत से जुड़ा हुआ है. राजस्थान में बने रेत के टीलों पर हवा से डायगोनल पैटर्न बन जाते हैं और इन पर जब बारिश का बूंदे पड़ती हैं तो बांधानी डिजाइन बन जाती है. बांधनी का प्रिंट इसी से प्रेरित है.
बांधनी प्रिंट की शुरुआत करीब 17वीं शताब्दी के पास मानी जाती है. बांधनी प्रिंट के कई अलग-अलग पैटर्न और नाम होते हैं. वहीं इसका प्रिंट बूंदों के पैटर्न का होता है और खिले रंग के कपड़ों पर बनाया जाता है. इसलिए इसे बारिश के मौसम में ज्यादा पसंद करते हैं.
बांधनी के कई नाम होते हैं. जैसे घारचोला प्रिंट, गांजी बांधनी साड़ी, बांधनी सिल्क, शुद्ध बांधनी कॉटन, शिकारी बंधेज, चंद्रखानी बंधेज प्रिंट, एकदाली बांधनी प्रिंट. अजंता के भित्ति चित्रों में बंधेज की झलक देखे को मिलती है.
वैसे तो पैटर्न बनाने की नई तकनीक विकसित हो हो चुकी हैं. लेकिन पारंपरिक रूप से कपड़े पर बंधेज प्रिंट में छोटी-छोटी बूंदों के डिजाइन को ब्लॉक पैटर्न में बदलने के लिए पूरे कपड़े में गांठें लगाकर रखनी होती हैं. इसलिए जो कारीगर ये प्रिंट हाथों से तैयार करते हैं, उन्हें नाखून बड़े रखते हैं.