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Rajasthan Politics: आज 3 जनवरी है, आज से ठीक 1 महीने पहले 3 दिसंबर को राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे, इसके बाद जनता ने डबल इंजन की सरकार को हरी झंडी दिखाई और राजस्थान में भाजपा का शासन आ गया. पिछले एक महीने में सत्ता से लेकर ब्यूरोक्रेसी के मुख्य तक के चेहरे बदल गए.
दरअसल 25 दिसंबर को जनता ने अपना फैसला EVM में कैद किया तो 3 दिसंबर को उस फैसले का ऐलान हुआ और राजस्थान में एक बार फिर राज बदल गया. भाजपा की डबल इंजन सरकार को जनता ने हरी झंडी दिखाई और साथ ही 2 दशक बाद राजस्थान को मुख्यमंत्री के तौर पर भजनलाल शर्मा के रूप में एक नया चेहरा मिला. 12 दिसंबर को भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान किया गया तो 15 दिसंबर को शपथ हुई. साथ ही दो डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा ने भी शपथ ली और साल के अंत से पहले प्रदेश के मुखिया को पूरा मंत्रिमंडल भी मिल गया. 22 मंत्रियों ने 30 दिसंबर को शपथ ली ,12 कैबिनेट तो 10 राज्य मंत्री बनाए गए.
पिछले 1 महीने के दौरान कई ताबड़तोड़ और बड़े फैसले भी लिए गए. भजनलाल ने सूबे की मुख्य की कमान संभाली तो वादों को संकल्प पत्र से निकालकर धरातल पर लाने के लिए ऐलान किया गया. उज्ज्वल और बीपीएल धारकों को 450 रुपए में सिलेंडर, पेपर लीक रोकने के लिए कदम उठाने की गारंटी के लिए फैसला लिया गया तो एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स का गठन किया गया और साथ ही सरकार के गठन के साथ सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि पूर्वी राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट यानी ईआरसीपी उनकी प्राथमिकता है. इस पर भी दिल्ली में बैठक हुई, मध्य प्रदेश के साथ समन्वय बनाने की कोशिश की गई और इसको मूर्त रूप देने के लिए काम शुरू किया गया. उत्तर प्रदेश के मॉडल के तर्ज पर हिस्ट्री शिटर्स के घर पर बुलडोजर चलाया गया और कड़ा संदेश दे दिया गया कि अब बदमाशों की खैर नहीं.
सरकार बदली तो ब्यूरोक्रेसी और पुलिस के मुखिया का चेहरा भी बदल गया. डीजीपी उमेश मिश्रा ने VRS लिया तो उनकी जगह यूआर साहू ने कमान संभाली तो वहीं मुख्य सचिव उषा शर्मा का कार्यकाल खत्म हुआ तो सरकार ने दिल्ली से सुधांश पंत को भेजा. अब सरकार ही नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेसी और पुलिस बेड़े का चेहरा भी नया है, यानी अब नए साल में नई चुनौती तो है ही लेकिन नए चेहरे उसे पर कैसे पार कर पाते हैं यह भी देखना बेहद दिलचस्प होगा.
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