Rajasthan Politics : अशोक गहलोत अक्सर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर निशाना साधते हुए कहते है कि वो 2020 के सियासी संकट में साथ थे. लेकिन जब खुद गहलोत राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष थे. तब भैरोसिंह शेखावत सरकार को गिराने की कोशिशों का विरोध किया था. आज कहानी उस MLA की जिसने Ashok Gehlot से मिलकर शेखावत सरकार गिराने का प्रस्ताव दिया था. और बाद में 2020 में सचिन पायलट के साथ मिल CM गहलोत के लिए भी संकट खड़ा किया.
Trending Photos
राजस्थान में इन दिनों सियासी अदावत कई नेताओं और धड़ों में चल रही है. अशोक गहलोत और गजेंद्र सिंह शेखावत की अदावत हो या सचिन पायलट और गहलोत की सियासी लड़ाई. उधर बीजेपी में वसुंधरा राजे और शेखावत की सियासी लड़ाई भई लंबे समय तक चर्चा में रही थी. साल 2020 में जब राजस्थान सरकार पर संकट आया था. सचिन पायलट के साथ 19 विधायक दिल्ली के पास मानेसर चले गए थे. उन विधायकों में से एक विधायक ऐसा भी था जिसने अशोक गहलोत सरकार को उस समय संकट में तो डाला. उससे करीब 25 साल पहले भैरोसिंह शेखावत सरकार को भी संकट में डाला था.
ये मामला साल 1996 का है. उस समय राजस्थान में भैरोसिंह शेखावत की सरकार थी. शेखावत 1990 से लगातार मुख्यमंत्री थे. 1990 में जनता दल के 45 विधायकों के समर्थन से 85 MLA वाली बीजेपी ने सरकार बनाई थी. जब लालकृष्ण आडवाणी ने राम रथ यात्रा निकाली तो उसका असर राजस्थान तक भी हुआ. जनता दल ने शेखावत सरकार से समर्थन वापिस ले लिया. भंवरलाल शर्मा समेत उन 22 विधायकों ने जनता दल दिग्विजय का गठन किया.
ये सभी 22 विधायक शेखावत के साथ बने रहे. बदले में भंवरलाल शर्मा को उस समय इंदिरा गांधी नहर परियोजना का मंत्री बनाया गया. 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद राजस्थान सरकार का बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया. 1993 में फिर से चुनाव हुए. बीजेपी फिर से सत्ता में आई. जब तक भंवरलाल शर्मा बीजेपी में शामिल हो गए थे. चुनाव जीते लेकिन मंत्री नहीं बनाए गए. इन चुनावों में बीजेपी ने 95 सीटें जीती थी. शेखावत ने निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई थी.
राजस्थान सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से भैरोसिंह शेखावत नाराज हो गए. जानकारों के मुताबिक उन्होनें उस वक्त के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत से मुलाकात की. हालांकि गहलोत ने सरकार गिराने का विरोध किया. भंवरलाल शर्मा के साथ उस समय एक दर्जन के करीब विधायक थे.
अशोक गहलोत ने उस समय सरकार गिराने का विरोध करते हुए कहा कि जब कोई बीमार व्यक्ति अपना ईलाज कराने विदेश गया हुआ हो. वैसे समय में उनकी सरकार को गिराने की कोशिश करना नैतिकता नहीं है. यहां तक बताया जाता है कि उस अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से भी मुलाकात की थी. उस समय के राज्यपाल बलिराम भगत से भी मिले थे. गहलोत ने राज्यपाल और प्रधानमंत्री के सामने स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी कीमत में सरकार गिराने की कोशिशों का वो साथ नहीं देंगे.
ये भी पढ़ें- अमित शाह ने भरतपुर, धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर के लिए बनाई ये रणनीति