नई आबकारी नीति के तहत आबकारी विभाग 2022-23 और 2023-24 के बंदोबस्त में लगा हुआ है, लेकिन नई नीति के तहत आबकारी विभाग को भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
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Pratapgarh: नई आबकारी नीति के तहत आबकारी विभाग 2022-23 और 2023-24 के बंदोबस्त में लगा हुआ है, लेकिन नई नीति के तहत आबकारी विभाग को भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
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नई नीति के तहत शराब ठेकेदार दुकानों को रिन्यूअल कराने में कतरा रहे हैं और इसी का नतीजा है कि जिले की 79 दुकानों में से मात्र 15 दुकानें ही रिन्यूअल हो पाई है. विभाग के अधिकारियों की समझाइश के बाद भी पुराने लाइसेंस धारी इस बार शराब की दुकान खरीदने में रुझान नहीं दिखा रहे हैं. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ठेकेदारों द्वारा पिछली बार शराब दुकान संचालन में काफी घाटा होने की बात कहीं जा रही है.
हालांकि सरकार ने रिबेट देकर पुराने लाइसेंस धारियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया, लेकिन उसके बावजूद भी पुराने लाइसेंस धारी इसमें रुझान नहीं दिखा रहे हैं. पुराने लाइसेंस धारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश की आबकारी नीति का भी यहां काफी असर पड़ा है. पहले मध्यप्रदेश में राजस्थान की तुलना में शराब अधिक महंगी होने के कारण जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग यहां आते थे, लेकिन अब मध्य प्रदेश की शराब नीति में बदलाव होने के कारण वह भी नहीं आ रहे हैं.
आबकारी निरीक्षक सुरेश बंबोरिया ने बताया कि जिले में रिन्यूअल के लिए 11 मार्च अंतिम दिनांक रखी गई थी, लेकिन उसके बावजूद मात्र 15 दुकाने ही रिन्यूअल हो पाई. इसके बाद 22 मार्च से 4 चरणों में नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन अभी तक मात्र 9 दुकान नीलम हो पाई है. विभाग के अधिकारी शेष बची 55 दुकानों की नीलामी को लेकर प्रयासरत है. इस बार शराब व्यवसायियों के नीलामी में रुचि नहीं दिखाने के पीछे व्यवसायियों का कहना है कि सरकार की नई आबकारी नीति के तहत पिछली बार भी उन्हें काफी घाटा उठाना पड़ा है। सरकार की इस बार की पॉलिसी भी शराब व्यापारियों को नुकसान देने वाली है.
Reporter- Vivek Upadhyay