नाथद्वारा में भगवान शिव जो विश्वास का स्वरूप है, उसका लोकार्पण नहीं बल्कि विश्वार्पण हुआ है. यह प्रतिमा श्रद्धा की उंचाईयां है, किसी स्पर्द्धा की नहीं है. यह प्रतिमा भगवान शिव की प्रतिभावत प्रतिमा है.
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Nathdwara: राजसमंद के नाथद्वारा में भगवान शिव जो विश्वास का स्वरूप है, उसका लोकार्पण नहीं बल्कि विश्वार्पण हुआ है. यह प्रतिमा श्रद्धा की उंचाईयां है, किसी स्पर्द्धा की नहीं है. यह प्रतिमा भगवान शिव की प्रतिभावत प्रतिमा है. विश्वास स्वरूप शिव की ही प्रेरणा है कि नौ दिवसीय रामकथा के माध्यम से इस प्रतिमा का विश्वार्पण हुआ है और हम सब इसके साक्षी हैं. उक्त उद्गार राष्ट्रीय संत मुरारी बापू ने शनिवार को मानस विश्वास स्वरूपम् के प्रथम दिन व्यासपीठ से व्यक्त किए.
मुरारी बापू ने भये प्रकट कृपाला का उच्चारण करते हुए इस मौके पर कहा कि हालांकि यह पंक्तियां भगवान राम के लिए प्रयुक्त हुई हैं, लेकिन यहां यह पंक्तियां भगवान शिव के लिए प्रयोग करना चाहूंगा. बापू ने कहा कि यहां निमित्त और निर्मित दोनो महादेव हैं. विश्वनाथ यहां भूमि से नहीं बल्कि आसमान से उतरे है और इसकी सबसे ज्यादा खुशी व्यासपीठ को है. उन्होने कहा कि इस प्रतिमा के केंद्र में विश्वास स्वरूप है. गुरु की कृपा एवं दृष्टि से इसमें 12 स्वरूपों के दर्शन होते हैं. उन्होने कहा कि यहां श्रीनाथ से मिलने के लिए विश्वनाथ आए हैं, रसराज से मिलने के लिए नटराज आए हैं. गिरिराज धारी यहां विराजित है और गंगाधारी मिलने आए हैं.
पंच देवों की सनातन परंपराओं में वंदना
मुरारी बापू ने व्यासपीठ से कहा कि सनातन वैदिक परंपराओं में गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव व पार्वती पंच देवों की वंदना की परंपरा रही है. भगवान गणेश की पूजा करते हुए हमें अपना विवेक बनाए रखना है. विवेक तत्व को समझने के लिए सत्संग की महत्ती आवश्यकता है. सूर्य की पूजा के लिए युवाओं को ज्ञान के उजाले में रहना चाहिए. नारायण की पूजा के लिए हद्य की विशालता को धारण करते हुए समस्त विपरितता, विषमताओं एवं विरोधों को दिल में रखना चाहिए. मां दुर्गा श्रद्धा का प्रतीक है और हमें अंध श्रद्धावान से बचना चाहिए.
गुरु की पूजा में पंच देवों की पूजा
मुरारी बापू ने कहा कि गुरु की पूजा में पंच देवों की पूजा हो जाती है. हमें ऐसे महापुरुषों की महत्ती आवश्यकता रहती है. ऐसे महापुरुष फिर चाहे शरीरधारी हो अथवा अशरीरधारी. गुरु हमेशा हमारे साथ चलता है. मुरारी बापू ने कहा कि रामचरित मानस के सात मंत्रों में प्रथम मंत्र में मंगला चारण है. विश्वास स्वरूपम् जो शिव जी का स्वरूप है. हम मंगला चरण में दो मंत्रों का आश्रय करके महादेव का अभिषेक करेंगे. भगवान शिव सर्व बौद्धिक है. बापू ने भगवान बुद्ध के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जिसकों भी बोध हुआ है, वो अविभाज्य हुआ है और उसके साथ साथ विश्व को भी बोध हुआ है.
सभी का गुरु त्रिभुवन - पालीवाल
संत कृपा सनातन संस्थान के टस्टी मदन पालीवाल ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि सबका अपना-अपना गुरु होता है और सभी का विश्वास भी अलग-अलग होता है, लेकिन सभी का गुरू त्रिभुवन होता है और भगवान शिव विश्वास का स्वरूप हैं. उन्होने कहा कि मैं प्रवृत्ति के मार्ग पर नहीं बल्कि निवृत्ति के मार्ग पर हूं. उन्होने स्मरण को याद करते हुए कहा कि वे पहली बार 7 नवंबर 1986 को 'आइये हनुमंत विराजिये कथा' को सुनने गए थे और तभी से कौतुक से देख रहा हूं और बापू से यही आशीर्वाद चाहता हूं कि जन्म जन्मातर तक यही कौतुक देखता रहूं.
बापू की हर कथा एक संदेश देती है-गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मौके पर कहा कि मुरारी बापू की हर कथा एक संदेश देती है. रामकथा प्रेम एवं भाईचारे का संदेश देती है, जिसकी आज आवश्यकता है. मुरारी बापू एवं मदन पालीवाल का रिश्ता तर्क से परे है. मदन पालीवाल 36 वर्षो से बापू की न सिर्फ अनोखी सेवा कर रहे है बल्कि लोगों में भक्ति भाव भी पैदा करते हुए समाज सेवा कर रहे हैं.
एकता एवं श्रेष्ठता का भाव समाहित करें- बाबा रामदेव
योग गुरु बाबा रामदेव ने इस मौके पर कहा कि हमें गुलामी के पद्चिह्नों को छोड़ते हुए आत्म ग्लानि और कुण्ठा से निकलते हुए एकता एवं श्रेष्ठता का भाव समाहित करना चाहिए. उन्होने कहा कि बापू भारत की सनातन संस्कृति है और उनकी रामकथा और उनका राममय जीवन हमारी संस्कृति के लिए योगदान है.
बापू की प्रेरणा से ही संभव हो पाया- डॉ. जोशी
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि 10 वर्ष पूर्व हमें विश्वास नही था लेकिन आज बापू की प्रेरणा से विश्वास ने स्वरूप ले लिया है. बापू की प्रेरणा से ही मदन पालीवाल ने यह मूर्ति बनवाई है और बापू मदन पालीवाल को यही आशीर्वाद दें कि ऐसे कार्य करते रहे, जिससे नाथद्वारा विश्व पटल पर पहचान बनाता रहें.
दीप प्रज्वलन के साथ ही सभी संकटों को दूर करने वाले संकटमोचन रामभक्त हनुमान का आह्वान हनुमान चालीसा के साथ हुआ. लोकार्पण के साथ ही हनुमान चालीसा के सुर समूचे परिसर में गूंजे और इसी के साथ 9 दिवसीय लोकार्पण रामकथा के आरंभ के लिए संत मुरारी बापू व्यासपीठ पर बिराजे.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित वहां उपस्थित सभी अतिथियों ने पोथी पूजन किया और संत मुरारी बापू का आशीर्वाद लिया. लोकार्पण समारोह में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, मंत्री उदयलाल आंजना, शांति धारीवाल, लालचंद कटारिया, डॉ. रघु शर्मा, राजेन्द्र राठौड़, कांग्रेस स्टीरिंग कमेटी के सदस्य और उदयपुर के पूर्व सांसद रघुवीर मीणा, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, राजसमंद सांसद दीया कुमारी, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, राजेन्द्र यादव आदि अतिथि रहे. संत कृपा सनातन संस्थान के प्रमुख ट्रस्टी मदन पालीवाल ने सभी का स्वागत किया.
नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने नाथद्वारा के विकास के लिए आने वाली कार्ययोजना को प्राथमिकता देने की घोषणा की. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि संत मुरारी बापू की वाणी से कई लोगों के जीवन में परिवर्तन हुआ है. बापू की प्रेरणा से ही नाथद्वारा को ऐसा स्थान मिला है.
समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिनमें स्थानीय के अलावा अन्य राज्यों से आए श्रद्धालु भी शामिल थे. समारोह में मूर्तिकार नरेश कुमावत का सम्मान भी किया गया. लोकार्पण के साथ शुरू हुई रामकथा 6 नवंबर तक चलेगी. कथा के दौरान रविन्द्र जोशी, रूपेश व्यास, विकास पुरोहित, विष्णुदत्त सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे.