Khatu Shyam Ji Birthday: क्यों चढ़ाए जाते हैं बाबा श्याम को खिलौने, इत्र के स्नान करने के बाद ही होता खाटू वाले का श्रृंगार
Advertisement

Khatu Shyam Ji Birthday: क्यों चढ़ाए जाते हैं बाबा श्याम को खिलौने, इत्र के स्नान करने के बाद ही होता खाटू वाले का श्रृंगार

Khatu Shyam Ji Birthday : खाटू श्याम (बर्बरीक) के शीश के दान से खुश होकर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि तुम कलियुग में बाबा श्याम के नाम से पूजे और जाने जाओगे इसलिए बर्बरीक कहलाया खाटू वाला श्याम. 

Khatu Shyam Ji Birthday: क्यों चढ़ाए जाते हैं बाबा श्याम को खिलौने, इत्र के स्नान करने के बाद ही होता खाटू वाले का श्रृंगार

Khatu Shyam Ji Birthday : इस बार खाटू बाबा श्याम का जन्मदिन 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा. अपने बाबा का जन्मदिन मनाने और मेले में शामिल होने के लाखों श्रद्धालु खाटू पहुंच रहे हैं. इस दिन सभी भक्त बाबा को केक का भोग लगाकर बाबा श्याम को जन्मदिन की बधाई देंगे. इस दिन कोई पैदल चलकर तो कोई पेट के बल बाबा के दरबार पहुंचेंगे. इस दिन बाबा का मंदिर आकर्षक ढंग से सजाया जाएगा. बता दें कि ये बाबा के सबसे बड़े फाल्गुनी लक्खी मेले के बाद दूसरा बड़ा मेला लगता है. 

लोग क्यों चढ़ाते हैं खिलौन?
श्याम जन्मोत्सव पर कई ऐसे भी श्रद्धालु बाबा श्याम के दरबार में आते हैं, जिनकी गोद सूनी होती है. वे बाबा को बांसुरी, खिलौने और मोरछड़ी चढ़ाकर गोद भरने के लिए मनौति मांगते हैं. वहीं, कई नारियल बांधकर अपने परिवार की सुख स्मृद्धि की कामना करते हैं. 

क्यों होता है इत्र से बाबा श्याम का स्नान
बाबा श्याम को इत्र से स्नान करवाकर गुलाब, चंपा, चमेली के फूलों के बने गजरों से बाबा श्याम का श्रृंगार किया जाएगा. 

देवउठनी को ही क्यों मनाया जाता है बाबा श्याम का जन्मदिन  
कहते हैं कि खाटू श्याम (बर्बरीक) के शीश के दान से खुश होकर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि तुम कलियुग में बाबा श्याम के नाम से पूजे और जाने जाओगे. 
वरदान देने के बाद उनका शीश खाटू नगर (राजस्थान राज्य के सीकर जिला) में दफनाया दिया गया इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है. कहते हैं कि एक गाय उस स्थान पर आकर प्रतिदिन अपने स्तनों से दूध बहा रही थी. 

यह भी पढ़ेंः khatu Shyam Ji Birthday: क्यों चुलकाना धाम पहुंचा खाटू वाला श्याम, जानें ये अनोखी कथा

बाद में जब इस स्थान की खुदाई की गई, तो वहां पर उनका यह शीश मिला, जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्राह्मण को दे दिया गया. वहीं, इसी के चलते एक बार खाटू नगर के राजा को मंदिर निर्माण और शीश को मंदिर में स्थापित करने का सपना आया. फिर इस पर मंदिर का निर्माण किया गया और कार्तिक माह की एकादशी को शीश मंदिर में स्थापित किया गया इसलिए देवउठनी ग्यारस को बाबा श्याम का जन्मदिन मनाया जाता है

श्याम बाबा की पूजन-विधि के कुछ नियम: 

  • श्याम बाबा के पूजन के लिए आपको एक खाटू श्यामजी की फोटो या मूर्ति होनी चाहिए. इसके साथ ही दीपा, धूप, नेविदयम, पुष्पमाला, इत्त्र आपके पास होना चाहिए. 
  • सबसे पहले आपको बाबा की फोटो या मूर्ति पर पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद रेशम के मुलायम कपड़े से साफ करें और पुष्ममाला से श्रृंगार करें. 
  • अब पूजन शुरू करने से पहले  श्यामबाबा की ज्योत के लिए एक घी का दीपक जलाए और धूपबत्ती जलाएं. 
  • खाटूश्याम बाबा को चूरमा, दाल, बाटी और मावे के पेड़े का भोग लगाएं और इसके बाद श्यामबाबा की आरती करें और आशीर्वाद लें. 
  • खाटूश्याम बाबा के जयकारे लगाएं- जय खाटूवाले श्याम, जय श्री श्याम, जय हो शीश के दानी, जय हो कलियुग देव की, जय हो खाटूनरेश, जय हो खाटूवाले नाथ की, जय मोर्वीनन्दन, जय मोर्वये, लीले के अश्वार की जय, लखदातार की जय, हारे के सहारे की जय, हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा.

कहते हैं कि जो भक्त बाबा श्याम की सच्चे तन-मन-धन से पूजा करते हैं, बाबा उनकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण करते हैं. 

Trending news