Sirohi : 400 लड़कियों ने शिवलिंग के 7 फेरे कर पहनाई वरमाला, और बन गयी ब्रह्माकुमारी
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Sirohi : 400 लड़कियों ने शिवलिंग के 7 फेरे कर पहनाई वरमाला, और बन गयी ब्रह्माकुमारी

एक ऐसी अनोखी शादी जिसमें शादी जैसी रस्मे तो निभाई गई, शादी भी हुई, फेरे भी हुए , बाराती भी आए और भोज भी हुआ लेकिन यह शादी अनोखी इसलिए है क्योंकि यह शादी किसी महिला व पुरुष के बीच में नहीं बल्कि महिला और ईश्वर के बीच में हुई है.

Sirohi : 400 लड़कियों ने शिवलिंग के 7 फेरे कर पहनाई वरमाला, और बन गयी ब्रह्माकुमारी

Bramakumaris News : एक ऐसी अनोखी शादी जिसमें शादी जैसी रस्मे तो निभाई गई, शादी भी हुई, फेरे भी हुए , बाराती भी आए और भोज भी हुआ लेकिन यह शादी अनोखी इसलिए है क्योंकि यह शादी किसी महिला व पुरुष के बीच में नहीं बल्कि महिला और ईश्वर के बीच में हुई है. आज के समय में जहॉं युवक युवतियां अपने कैरियर और धन कमाने के पीछे भाग रहे है. वहीं सिरोही जिले के आबू रोड में देशभर से आयी 4 सौ से ज्यादा युवा बहनों ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए ब्रह्माकुमारीज संस्थान में समर्पित हो गयी. यह समर्पण अपने आप में खास इसलिए है क्योकि वे परमात्मा ािश्व को साक्षी मानकर अब शिवलिंग को सात फेरे लगाकर वरमाला पहनायी और अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. अब उनका पूरा जीवन परमात्मा की याद और मानवता की सेवा में गुजरेगा. इस दौरान उनके माता पिता के साथ रिश्तेदार भी उपस्थित रहे. ब्रह्माकुमारीज संस्थान के आबू रोड स्थित डायमंड हॉल में यह भव्य समारोह आयोजित किया गया.

इसमें खास बात तो यह है कि ये सभी युवा बहनें पढ़ी लिखी है. कोई एमए, एमफिल तो कोई सीए है. इसके साथ ही कइयों ने तो लाखों रुपये के पैकेज छोड़कर संयम का पथ अपना लिया. इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी, बीके संतोष, महासचिव बीके निर्वेर, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन समेत तमाम बड़े पदाधिकारी उपस्थित रहे. इसके लिए डायमंड हॉल को सजाया गया था. विशाल मंच सजा था.

इन युवा बहनों को को उनके माता पिता ने संस्थान की मुखिया दादियों और दीदीयों के हाथों में सौंपकर उनके सफल जीवन की कामना की. उनके समर्पण समारोह में बकायदा बैड बाजा आदि की पूरी व्यवस्था की गयी थी. इसके साथ उन्हें सात संकल्प कराकर शपथ दिलायी गयी.

समर्पित होने के पहले से ही ये कन्याएं कम से कम 5 वर्ष तक ब्रह्माकुमारी आश्रम में समर्पित जीवन गुजार चुकीं हैं. एकदम से कोई ब्रह्माकुमारी नहीं कहलाने लगता है. इसकी पूरी प्रक्रिया है. पहले पांच वर्ष में आप चाहे तो पुनः पुराने जीवन में लौट सकते हैं. लौटना चाहें तो कभी भी लौट सकते हैं, कोई बंधन नहीं है. लेकिन वही बहनें समर्पित होतीं हैं, जिन्होंने ईश्वरीय सेवा का दृढ़ निश्चय किया हो. जिन्होंने पांच वर्षों तक ब्रह्माकुमारीज का जीवन निकट से देखा हो, अनुभव किया हो, खुद वैसे ही गुजारा हो.

गौरतलब है कि विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था ब्रह्माकुमारीज का प्रबंधन हमेशा स्त्री प्रधान रहा है. यहां की बागडोर क्रमशः दादी प्रकाशमणि जी, दादी जानकी जी, दादी ह्दयमोहिनी जी और दादी रतनमोहिनी जी ने सम्भाली है. सेंटर्स पर भी दीदीयां ही ज्ञान योग की शिक्षा देती हैं. यह दुनिया की पहली संस्थान है जिसका संचालन और मालिकाना हक बहनों के हाथों में है. यह संस्था पूरे विश्व के 140 देशों तक फैली है. दुनिया भर में जितने सेवाकेन्द्र है वहॉं बहनें ही इनकी कर्ता धर्ता होती है.

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