अनूपगढ़ में आयुर्वेद विभाग ने लंपी से बचाव के लिए आयुर्वेदिक औषधि बनाने की विधि बताई
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अनूपगढ़ में आयुर्वेद विभाग ने लंपी से बचाव के लिए आयुर्वेदिक औषधि बनाने की विधि बताई

पशुपालकों और ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए आयुर्वेद विभाग ने विशेष अभियान चलाया, जिसके तहत आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ सीमा चौहान और परिचारक धर्म सिंह ने ग्रामीणों को लंपी स्किन रोग के बारे में बताया और आयुर्वेदिक औषधि बनाने की विधि भी बताई.

अनूपगढ़ में आयुर्वेद विभाग ने लंपी से बचाव के लिए आयुर्वेदिक औषधि बनाने की विधि बताई

Anupgarh: आयुर्वेद विभाग की ओर से राजस्थान सरकार और विभाग के निर्देशानुसार पशुपालकों और ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है. इस अभियान के तहत आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ सीमा चौहान और परिचारक धर्म सिंह ने ग्राम पंचायत हिशामकी में ग्रामीणों को लंपी स्किन रोग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए इससे बचाव के भी उपाय बताए हैं. जागरूकता अभियान के दौरान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. सीमा चौहान ने ग्रामीणों और पशुपालकों में पंपलेट वितरित करवाए और आयुर्वेदिक औषधि बनाने की विधि भी बताई.

अनूपगढ़ क्षेत्र में लम्पी महामारी से बचाव के लिये राज्य सरकार और विभाग के निर्देशानुसार आयुर्वेद विभाग के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया गया है. आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सीमा चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि अनूपगढ़ की ग्राम पंचायत हिशामकी में ग्रामीणों और पशुपालकों को लम्पी महामारी के बारे में विस्तार से बताया गया है. लम्पी महामारी पशुओं में लंबे समय तक रुग्णता का कारण बनती है. जन जागरूकता अभियान के तहत ग्रामीणों को लम्पी महामारी के लक्षण वह बचाव के उपाय बताए गए हैं. डॉक्टर सीमा चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि तुलसी के पत्ते, दालचीनी, सोंठ पाउडर,काली मिर्च और गुड़ के प्रयोग से संक्रमण से बचाव किया जाता है. आंवला, अश्वगंधा, गिलोय और मुलेठी भी लम्पी महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकते हैं.

यदि किसी पशु को लम्पी संक्रमण हो गया है तो उस पशु को पान के पत्ते, काली मिर्च पाउडर,ढेलेवाला नमक और गुड देकर लम्पी महामारी से बचाव किया जा सकता है. डॉ चौहान ने बताया कि संक्रमण होने के 4 से 14 दिनों में नीम के पत्ते,तुलसी के पत्ते,लहसुन की कली, लौंग, काली मिर्च पाउडर,पान के पत्ते, छोटे प्याज,धनिया के पत्ते,जीरा, हल्दी पाउडर और गुड का मिश्रण देने से संक्रमित पशुओं को काफी लाभ मिलता है. संक्रमित पशुओं के खुले घाव को तुलसी के पत्ते, नीम के पत्ते,मेहंदी के पत्ते,लहसुन की कली,हल्दी पाउडर और नारियल के तेल से साफ करना चाहिए. डॉ चौहान ने ग्रामीणों से अपील की है कि लम्पी स्किन रोग से बचाव के लिये संक्रमित पशुओं की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और चिकित्सक की सलाह पर ही दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए.

Reporter-Kuldeep Goyal

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