Deoli Uniyara: टोंक के देवली कुचलवाड़ा बिजासन माता का यह एक मात्र ऐसा शक्तिपीठ है जहां शिव शक्ति आमने-सामने विराजमान है. जहां नवरात्र में 3 समय आरती होती है. हजारों की संख्या में दूर-दूर से भक्त आते हैं. और खुले मन से दान करते हैं. उसी पैसे से जैसलमेर के कीमती पत्थर से मंदिर निर्माण हो रहा है. जैसलमेर के कीमती पत्थर से मंदिर निर्माण का काम पिछले 12 साल से लकर अभी तक चल रहा है. इस मंदिर में बरसों से लकवा ग्रस्त मरीज आते है जो कई सालों ले अपने ठीक होने की आस छोड़ देते है. उनके लिए कुचलवाड़ा बिजासन माता उम्मीद की किरण बनती है. ऐसे मेंजिनकी मन्नते यहा आकर के पूरी होती है, वह भंडारा भी करते हैं. प्रसादी के लिए धर्मशाला भी बनाई गई है. नवरात्रि में मां का विशाल मेला लगता है.
बिजासन माता की महिमा
प्राचील काल में तकरीबव 600 साल पहले एक कुम्हार को मां ने दर्शन दिए थे. सपने में मां ने उस जगह को गोबर से लीपकर पूजा करने हो कहा था . जिसके लिए माता यहां चमत्कारी रूप से प्रकट हुई था.
12 साल से अभी तक चल रहा है मंदिर निर्माण कार्य
एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है , जहां शिव और शक्ति आमने सामने बैठे है , यहां लकवे के गंभीर पीड़ित भी ठीक होकर लौटते है , मंदिरों में 3 समय की आरती होती है , लेकिन एक ऐसा मंदिर जहां दिन में तीन बार आरती होती है.
लकवा रोगियों को करती हैं ठीक
आधुनिक चिकित्सा प्रणाली भी लकवा रोग के सामने बेबस साबित हुई है लेकिन ऐसे असाध्य रोग के इलाज करने के लिए दूर-दूर तक बिजासन माता प्रसिद्ध है. देवली शहर के समीप कुचलवाड़ा गांव में बिजासन माता मंदिर बिजासन माता मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां लकवा जैसी गंभी रोग से ग्रस्त मरीज, जो एक बार जीने की आस छोड़ देते हैं लेकिन देवली के कुंचलवाड़ा गांव स्थित बिजासन माता उनके लिए आशा की किरण बनती है. यहा पर अजमेर, कोटा, किशनगढ़ यूपी, राजस्थान के दूर-दूर जिले से आते यात्री हैं जिसके कारण मंदिर में पूरे साल भक्तों और देश विदेश के लाखों पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है.
Reporter: Purshotam joshi