उदयपुर: लाखों रुपये खर्च के बाद स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल, खुली सरकारी सिस्टम की पोल
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उदयपुर: लाखों रुपये खर्च के बाद स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल, खुली सरकारी सिस्टम की पोल

चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के रहने के लिए यहां क्वार्टर उपलब्ध नहीं होने से 24 घण्टे सुविधा देने वाले इस अस्पताल पर शाम 4:00 बजे बाद ताला लगा दिया जाता है. 

अब वहां पर मरीजों को ले जाना भी दुर्भर हो रहा है.

Jhadol: उदयपुर जिले की आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए प्रदेश सरकार लाखों रुपए का बजट पास करती है. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी बिना सोचे समझे ही इन रुपये को खर्च कर देते हैं, जिसके चलते इसका लाभ जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पाता है. 

जिले के आदिवासी क्षेत्र झाडोल इलाके से ही कुछ ऐसी तस्वीरों से हम आपको रूबरू कराएंगे जो ना केवल सरकारी सिस्टम की पोल खोल रही है. बल्कि योजनाओं पर पैसे खर्च करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की सोच पर भी कई सवाल खड़े करेगी. 

दरअसल, उदयपुर जिले का झाडोल उपखंड आदिवासी बाहुल्य इलाका दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र है. इस इलाके की पहचान है. यहां आदिवासियों की बिखरी हुई आबादी पहाड़ों के इर्द-गिर्द रहते हैं जिनमें से अधिकांश आदिवासी परिवार मजदूरी और खेती कर अपना भरण-पोषण करते हैं. सरकारी व गैर सरकारी कई संस्थाओं ने इस क्षेत्र में चिकित्सा सुविधा के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है बावजूद यहां की चिकित्सकीय व्यवस्थाओं में सुधार नही हुआ है, जिसका ज्वलंत उदाहरण है झाडोल उपखंड का मोहम्मद फलासिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र.

2006 में बना यह स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य सुविधा की जगह स्वास्थ्य दुविधा बना हुआ है. झाड़ोल मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मोहम्मद फलासिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गांव की सबसे ऊंची पहाड़ी पर लाखों रुपए खर्च कर भाजपा शासनकाल में बनाया गया था. यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सड़क से देखने पर स्वास्थ्य केंद्र की जगह सरकारी डाक बंगला नजर आता है. इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पांच उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिनके इलाकों की जनसंख्या करीब 4 हजार के आसपास है. 

बावजूद इसके सर्व सुविधा युक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण मात्र 3400 जनसंख्या वाले इलाके में पहाड़ी के ऊपर किया गया है, जिससे अब वहां पर मरीजों को ले जाना भी दुर्भर हो रहा है. पहाड़ी व उबड़ खाबड़ रास्ते के कारण इस अस्पताल में नजदीक रहने वाले ग्रामीण भी बीमार होने या प्रसव पीड़ा होने उपचार करवाने के लिए 15 किलोमीटर दूर झाडोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाना ज्यादा सुलभ व सहज महसूस करते हैं. इसी कारण यहां प्रतिदिन की मात्र 10 से 15 की ओपीडी रहती है.

यहां पिछले 16 वर्षों में मात्र 30 से 40 प्रसव हुए हैं, वह भी पिछले 2 वर्षों में हुए हैं. इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का मामला यहीं खत्म नहीं होता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सरकार की पूरी मशीनरी लगी हुई है. यहां पर चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, जीएनएम, एएनएम मौजूद हैं.

वहीं, भवन में प्रसव कक्ष, महिला एवं पुरुष वार्ड, मरीजों के बैठने के लिए सुविधा, ओपीडी के लिए अलग से सुविधाएं उपलब्ध है. लेकिन चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के रहने के लिए यहां क्वार्टर उपलब्ध नहीं होने से 24 घण्टे सुविधा देने वाले इस अस्पताल पर शाम 4:00 बजे बाद ताला लगा दिया जाता है. इसके विपरीत झाडोल उपखंड के उप स्वास्थ्य केंद्र ढ़ीमड़ी की बात करे तो यह उप स्वास्थ्य केंद्र मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है और यहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं भी बहुत कम है.

ढिमडी उप स्वास्थ्य केंद्र इन सभी स्वास्थ्य केंद्रों का सेंटर प्वाइंट होने के कारण उप स्वास्थ्य केंद्र पर एक जीएनएम को सरकार द्वारा लगाया गया है. उप स्वास्थ्य केंद्र पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तरह ना तो चिकित्सक है ना ही नर्सिंग स्टाफ है और ना ही यहाँ सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर भवन निर्माण करवाया गया है. पर यहां कार्यरत जीएनएम रामलाल मीणा 24 घंटे कई वर्षों से अपनी सेवाएं निरंतर दे रहे हैं. जिसके कारण हरि क्षेत्र के अलावा झाडोल उपखंड के विभिन्न गांवों से ग्रामीण मरीज यहां उपचार करवाने पहुंचते हैं. इसी कारण इस छोटे से उप स्वास्थ्य केंद्र की प्रतिदिन की ओपीडी 50 से अधिक रहती है.

वहीं, प्रतिमाह 30 से भी ज्यादा महिलाओं के प्रसव यहां होते हैं. यहां कार्यरत रामलाल मीणा ने भामाशाह विधायक मद व अन्य के सहयोग से यह आने वाले मरीजों की सुविधा के लिए भवन निर्माण, पेयजल, शौचालय जैसी व्यवस्था करवाई है. क्षेत्र के कई नेताओं व अधिकारियों द्वारा मरीजों की संख्या और कार्यरत कर्मचारी की लगन को देखते हुए इस उप स्वास्थ्य केंद्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिला कर हरी क्षेत्र के सभी उपस्वास्थ्य केंद्रो को इसमे मिलाने की मांग कर चुके हैं. इसको लेकर झाडोल का एक प्रतिनिधिमंडल झाडोल उप प्रधान मोहब्बतसिंह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मुलाकात कर चुका है. 

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क्षेत्रवासियों का कहना है कि मोहम्मद फलासिया जैसी जगह पर सरकार ने लाखों रुपए बर्बाद कर भवन निर्माण किया गया है, जिसका कोई अर्थ नहीं निकलता है. दूसरी तरफ ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार से बार-बार गुजारिश करने के बावजूद ढ़ीमडी उप स्वास्थ्य केंद्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा नहीं दिया जा रहा है.यदि सरकार इसकी सिर्फ घोषणा ही कर दे तो इसका लाभ क्षेत्र की जनता को मिलेगा.

रिपोर्ट: अविनाश जगनावत

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