हितेंद्र गरासिया के परिजन उनकी दिवंगत देह को भारत लाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं.
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Udaipur: भारतीय नागरिक हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को भारत लाने की मांग को लेकर उनके परिजनों ने आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है. हितेंद्र गरासिया की रूस में मौत हो गई थी.
हितेंद्र गरासिया उदयपुर जिले के खेरवाड़ा कस्बे के गोड़वा में रहते थे. सोमवार से नई दिल्ली में राजघाट पर बूंदी के कांग्रेस सहायता प्रभारी चर्मेश शर्मा ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है. परिजनों के साथ कांग्रेस सहायता प्रभारी चर्मेश शर्मा ही हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को भारत लाने की मुहिम चला रहे हैं. हितेंद्र गरासिया की पत्नी आशा गरासिया, बेटी उर्वशी, बेटे पीयूष, परिजन मोहन लाल गरासिया और बूंदी के हारून खान अनशन में शामिल हुए.
सम्मानजनक अंतिम संस्कार तक संघर्ष
बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा ने कहा, '' हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को भारत आने तक संघर्ष जारी रहेगा. हाईकोर्ट में सरकार झूठ पर झूठ बोल रही है. हितेंद्र गरासिया के सम्मानजनक अंतिम संस्कार तक संघर्ष जारी रहेगा. ईश्वर के आशीर्वाद और सभी की दुआओं से हम अपने संघर्ष में सफल होंगे.''
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वहीं हितेंद्र गरासिया की पत्नी आशा गरासिया ने भावुक होकर एक बार फिर भारत सरकार से गुहार लगाई है. उन्होंने कहा, '' किसी के साथ इससे बड़ा अन्याय क्या होगा कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार सामाजिक रीति-रिवाज के मुताबिक नहीं हो. रूस में, कब्र में से उनके पति की आत्मा मुक्ति के लिए पुकार रही है.''
राजस्थान हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई
इस मामले में मंगलवार (आज) को राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में एक बार फिर सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में भारत सरकार ने कहा था कि दो या तीन दिन में हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह भारत आ जाएगी, लेकिन सप्ताह बीत जाने के बाद भी हितेंद्र गरासिया का शव भारत नहीं आया. वहीं परिजनों की भी आस अब न्यायालय पर टिकी हुई है.
क्या था पूरा मामला
बता दें कि 46 साल के हितेंद्र गरासिया 23 अप्रैल 2021 को किसी एजेंट के जरिए रूस गए थे. रूस में वह टेलरिंग का काम कर रहे थे. 17 जुलाई को हितेंद्र गरासिया का शव लावारिस हालत में रूस पुलिस को सड़क पर मिला.
Report- Avinash Jagnawat