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उदयपुर की घाटा वाली माता ने की थी मुगल आक्रांतों से मेवाड़ की रक्षा, जानें चमत्कारी इतिहास

Udaipur News: नवरात्रि के पावन पर्व पर हम आज आपको एक ऐसे शक्ति के दर्शन कराएंगे, जिसने रियासत काल में मुगल आक्रांतों से मेवाड़ की रक्षा की थी. यह शक्तिपीठ उदयपुर के पूर्व दिशा में स्थापित है. चामुंडा माता का यह चमत्कारी स्थान भक्तों में घाट वाले माता जी के नाम से विख्यात हैं. यहां दर्शन करने जाने वाले हर वक्त की माता मनोकामना को पूरा करती हैं.

भक्त अपने आप ही नतमस्तक हो जाते

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भक्त अपने आप ही नतमस्तक हो जाते
उदयपुर के पूर्वी द्वार देबारी चौराहे के समीप बिराजी है घाटा वाली माताजी. इनके चमत्कार की कहानियां मेवाड़ की राजधानी उदयपुर के स्थापित होने से लेकर अभी तक विख्यात है. यहां कई ऐसे चमत्कार हुए हैं, जिसके आगे सभी भक्त अपने आप ही नतमस्तक हो जाते हैं. बताया जाता है कि मेवाड़ की राजधानी उदयपुर बनने के बाद शहर के पूर्वी द्वार पर चामुंडा माता मंदिर की स्थापना की गई. पूर्वी द्वार की रक्षा का जिम्मा देवड़ा सरदारों के पास था. 

नाभि से हजारों की संख्या में भंवर निकले

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नाभि से हजारों की संख्या में भंवर निकले
एक बार चित्तौड़गढ़ के रास्ते मुगल सेना उदयपुर पर हमला करने के लिए पहुंची. मुगलों की संख्या अधिक होने पर द्वारा के रक्षक देवड़ा सरदारों ने द्वार बंद कर दिया और माता चामुंडा के चरणों में रक्षा की गुहार लगाने लगे. बताया जाता है कि उसे समय माता की नाभि से हजारों की संख्या में भंवर निकले. जो मुगल सेना के ऊपर टूट पड़े. माता की नाभि से निकले. भंवर की सेना ने मुगलों को करीब 5 किलोमीटर तक खड़े दिया और मेवाड़ रिहास की रक्षा की. तब से लेकर अब तक माता के प्रति लोगों को आस्था और अधिक बढ़ने लगी.

माता के मंदिर को पहाड़ी से हटाकर अन्यत्र स्थापित करने की योजना

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माता के मंदिर को पहाड़ी से हटाकर अन्यत्र स्थापित करने की योजना
पहले घाटा वाली माता जी खुले आसमान के नीचे एक छोटे से चबूतरे पर विराजमान थी. इस दौरान 90 के दशक में उदयपुर-चित्तौड़गढ़ नेशनल हाईवे का काम शुरू हुआ. एनएचआई ने पुराने राजमार्ग के पास ही फोर लाइन का निर्माण करने का निर्णय लिया. इस लिए अधिकारियों ने माता के मंदिर को पहाड़ी से हटाकर अन्यत्र स्थापित करने की योजना बनाई. 

तलवार हाथ में लिए एक कन्या दिखाई देती

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तलवार हाथ में लिए एक कन्या दिखाई देती
योजना के तहत मशीनों की सहायता से माता के पहाड़ की खुदाई करने का काम शुरू किया गया लेकिन इसे घाटा वाली माता का चमत्कार ही कहेंगे कि पहाड़ी की खुदाई के लिए लाई गई एक के बाद एक तीनों मशीनें खराब हो गई. यही नही जब इंजीनियर दूरबीन से पहाड़ की तरफ देखते थे, उन्हें तलवार हाथ में लिए एक कन्या दिखाई देती. मशीनों के खराब होने और दूरबीन में कन्या के दिखने के बाद अधिकारियों ने माता के स्थान से छेड़छाड़ करना उचित नहीं समझा. बाद में नेशनल हाईवे का मार्ग के नक्शे में बदलाव कर दिया दिया गया.

मंदिर के ऊपर छत नहीं बनाई गई

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 मंदिर के ऊपर छत नहीं बनाई गई
समय के साथ-साथ माता के दर्शन करने आने वाले भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. नवरात्रि के समय यहां आने वाले भक्तों की संख्या हजारों में पहुंच जाती है. घाटा वाली माता जी का मंदिर अब विशाल रूप ले चुका है. लेकिन माता के आदेश से उनके मंदिर के ऊपर छत नहीं बनाई गई है. खुले आसमान के नीचे आज भी घाटा वाली माता अपने दर पर पहुंचने वाले हर वक्त की मुराद को पूरी करती है. 

यहां का वैभव बढ़ता जा रहा

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यहां का वैभव बढ़ता जा रहा
भक्तों को भी माता रानी पर पूरा विश्वास है और उनका कहना है कि वह जो भी अरदास या लेकर यहां आते हैं उसे माता अविलंब पूरा कर देती है. घाटा वाली माता के मंदिर का चमत्कार सुन उदयपुर के बाहर से भी भक्त माता के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं. यही कारण है कि अब यहां का वैभव बढ़ता जा रहा है.