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राजस्थान की वो जगह, जहां दूल्हा-दुल्हन से पहले दोनों समधनों की करवाई जाती है शादी!

Rajasthan News: आज हम आपको राजस्थान के उस समाज के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दूल्हा-दुल्हन से पहले दोनों समधनों की शादी करवाई जाती है. यह इस समाज की अनोखी परंपरा है, जो सदियों से निभाई जा रही है. 

मां के फेरे

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मां के फेरे

पूरे भारत में हर समाज में शादी के अपने-अपने अलग-अलग रीति-रिावज होते हैं. इसी तरह राजस्थान में रहने वाले एक समाज द्वारा एक अनोखी रस्म निभाई जाती है, जिसमें दूल्हा-दूल्हन से पहले उन दोनों की मां के फेरे करवाए जाते हैं. 

सालों से निभाई जा रही परंपरा

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सालों से निभाई जा रही परंपरा

प्रदेश के उदयपुर के श्रीमाली समाज में दूल्हा-दुल्हन के फेरों से पहले दोनों समधनों (दूल्हे और दुल्हन की मां) के आपस में फेरे करवानी की रस्म निभाई जाती है, जो सदियों से चली आ रही है.   

प्रेम और एकता

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प्रेम और एकता

लोगों द्वारा बताई गई बातों के अनुसार, यह अनोखी रस्म सालों से निभाई जा रही है. दूल्हा और दुल्हन के परिवारों को जोड़े रखने के लिए दोनों समधनों के बीच फेरे करवाए जाते हैं, जिससे प्रेम और एकता बनी रहे. 

आठ फेरे

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आठ फेरे

इसके अलावा इस समाज में दूल्हा-दुल्हन के सात नहीं बल्कि आठ फेरे करवाए जाते हैं. जानकारी के अनुसार, श्रीमाली समाज विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी के वंशज कहलाते हैं. ये माता लक्ष्मी को अपनी कुलदेवी मानते हैं. 

भगवान कृष्ण और रुक्मणी की शादी

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भगवान कृष्ण और रुक्मणी की शादी

इस रस्म को निभाए जाने के पीछे लोगों का कहना है कि जब भगवान कृष्ण और रुक्मणी की शादी हो रही थी, तो दोनों की मां के बीच झगड़ा हो गया था. इसके बाद भगवान ने पहले अपनी दोनों मां के फेरे करवाए और फिर खुद शादी की. इस वजह से सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है.