President Election 2022: सांसदों की संख्‍या नहीं हुई कम फिर भी अबकी बार इस कारण घटेगा इनके मतों का मूल्‍य
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President Election 2022: सांसदों की संख्‍या नहीं हुई कम फिर भी अबकी बार इस कारण घटेगा इनके मतों का मूल्‍य

Rashtrapati Chunav 2022: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को पूरा हो रहा है और नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए जुलाई में चुनाव होने वाले हैं, जिसमें सांसदों के मत का मूल्य घटने की संभावना है.

President Election 2022: सांसदों की संख्‍या नहीं हुई कम फिर भी अबकी बार इस कारण घटेगा इनके मतों का मूल्‍य

MPs Vote Value in President Election 2022: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) इस साल 24 जुलाई को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं और इससे पहले नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है. इस बीच यह जानकारी सामने आ रही है कि इस बार चुनाव में सांसदों के मत का मूल्य घटने की संभावना है. अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य 708 से घटकर 700 रह जाने की संभावना है.

क्यों घट सकता है सांसदों के मत का मूल्य?

राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) में सांसदों के मत का मूल्य कम होने के पीछे का कारण जम्मू-कश्मीर में विधान सभा का गठन नहीं होना है. राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी व जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचित सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है.

कौन करता है राष्ट्रपति चुनाव में मतदान?

राष्ट्रपति चुनाव (Rashtrapati Chunav 2022) में लोक सभा, राज्य सभा और दिल्ली, पुडुचेरी व जम्मू कश्मीर सहित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधान सभाओं के सदस्य मतदान करते हैं. अगस्त 2019 में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 83 विधान सभा सीट थीं.

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जम्मू-कश्मीर में होगी विधान सभा

सरकार ने घोषणा की थी कि विधान सभा क्षेत्रों का परिसीमन पूरा होने के बाद विधान सभा चुनाव होगा. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधान सभा होगी, जबकि लद्दाख पर सीधे केंद्र का शासन होगा. पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग ने अपने अंतिम आदेश को अधिसूचित किया, जिसमें उसने केंद्रशासित प्रदेश के लिए 90 सदस्यीय विधान सभा की सिफारिश की, लेकिन अभी विधायकों के चुनाव में कुछ समय लग सकता है.

पहले भी हो चुका है ऐसा

यह पहली बार नहीं है कि किसी विधान सभा के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव (Rashtrapati Chunav) में भाग नहीं ले पाएंगे. इससे पहले साल 1974 में 182 सदस्यीय गुजरात विधान सभा को नवनिर्माण आंदोलन के बाद मार्च में भंग कर दिया गया था और राष्ट्रपति चुनाव से पहले इसका गठन नहीं किया जा सका था. उस चुनाव में फकरुद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति चुने गए थे. हालांकि, जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति चुनाव में देखने को मिलेगा, क्योंकि इसके लोक सभा सदस्य देश के प्रथम नागरिक का चुनाव करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र होंगे.

कब कितना था सांसदों के मत का मूल्य

साल 1997 के राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के बाद से एक सांसद के मत का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है. साल 1952 में पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक सांसद के मत का मूल्य 494 था, जो साल 1957 के राष्ट्रपति चुनाव में मामूली रूप से बढ़कर 496 हो गया. इसके बाद साल 1962 में यह 493 और साल 1967 व 1969 में 576 रहा. बता दें कि तीन मई 1969 को राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के कारण साल 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था. इसके बाद साल 1974 के राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य 723 निर्धारित किया गया था, जबकि साल 1977 से 1992 तक के राष्ट्रपति चुनावों के लिए एक सांसद के मत का मूल्य 702 हो गया.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी भाषा)

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