माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं और नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना कर रहे है, उससे साफ है कि नीतीश की मुश्किलें बढ़ेंगी.
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RCP Singh and Nitish Kumar: दो अक्टूबर (गांधी जयंती) को प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी लॉन्च की. उसी महीने के अंतिम दिन 31 अक्टूबर को दिवाली एवं सरदार पटेल की जयंती के दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने बिहार में एक नई पार्टी 'आप सब की आवाज' का गठन किया. एक तरफ जहां बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में अगले साल होने जा रहे चुनावों में नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही एनडीए चुनाव लड़ेगी तो उसी संदर्भ में ये पूछा जा रहा है कि ये नई पार्टियां चुनावों में किसका नुकसान करेंगी?
दरअसल आरसीपी सिंह ने जब गुरुवार को पार्टी की घोषणा करने के बाद जिस तरह इशारों ही इशारों में नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून और बिहार के शिक्षा के बदतर हालात पर सवाल उठाए, उससे साफ है कि राजनीति में उनके निशाने पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ही रहेगी. नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह दोनों नालंदा जिले से ही आते हैं. आरसीपी सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं, लेकिन राजनीति में इनकी पहचान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा दी गई. नीतीश कुमार से मनमुटाव होने के बाद इन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और फिर भाजपा द्वारा दरकिनार किए जाने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाने की घोषणा कर दी. माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं और नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना कर रहे है, उससे साफ है कि नीतीश की मुश्किलें बढ़ेंगी.
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गौर करने वाली बात यह है कि गुरुवार को जब सिंह अपनी पार्टी 'आप सब की आवाज' बनाने की घोषणा कर रहे थे, तब उन्होंने 140 सीटों पर लड़ने की बात तो कह दी, लेकिन किस गठबंधन में शामिल होंगे, इसकी बात तक नहीं की. ऐसे में चर्चा यह भी है कि ये उन्हीं सीटों को टारगेट कर सकते हैं जिन पर जदयू अपने उम्मीदवार उतारेगी. पिछले चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी अकेले ही चुनावी मैदान में उतर कर जदयू को नुकसान पहुंचाया था.
प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर भी कमोबेश वही बात कहते रहे हैं जो अब आरसीपी सिंह ने कहा. प्रशांत किशोर भी बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली के महत्व पर जोर देते रहे हैं और शिक्षा व्यवस्था में बड़े पैमाने पर बदलाव की वकालत करते रहे हैं. जिसमें राज्य की शराबबंदी नीतियों से प्राप्त धन का उपयोग भी शामिल है. उनका हालिया अभियान परिवारों को अपने बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करने पर केंद्रित रहा है.
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प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह में लेकिन एक बुनियादी अंतर दिखता है. प्रशांत किशोर जहां जेडीयू के साथ बीजेपी पर भी निशाना साधते हैं वहीं आरसीपी सिंह का टारगेट केवल जेडीयू और नीतीश कुमार हैं. इसको इस बात से समझा जा सकता है कि आरसीपी सिंह गुरुवार को जब अपनी पार्टी को लॉन्च कर रहे थे तो संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की दो बार चर्चा की और उनकी सराहना की.
उन्होंने गुरुवार को कहा,‘‘ राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की आज जयंती है. मैं अपने सभी साथियों की ओर से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को उनकी (पटेल की) जयंती के 150वें वर्ष को पूरे एक साल तक मनाये जाने की घोषणा के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं.’’ इसके विपरीत उन्होंने बिहार में शिक्षा व्यवस्था की कथित बदतर हालत, राष्ट्रीय तुलना में प्रदेश में काफी कम प्रति व्यक्ति आय और शराबबंदी के निर्णय को लेकर प्रदेश को हो रहे राजस्व की हानि को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशान साधा.