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10 सेकंड के विज्ञापन की इतनी कीमत


क्रिकेट मैचों के प्रसारण के राइट्स बेचकर BCCI को सबसे ज्यादा कमाई होती है. वर्ष 2017 में BCCI ने एक मीडिया कंपनी को IPL के प्रसारण का अधिकार 16 हजार 347 करोड़ रुपये में बेचा था जो पांच वर्षों के लिए है. इसके अलावा स्पॉन्सरशिप से भी BCCI हर साल करोड़ रुपये कमाता है. अब आप सोचिए BCCI के लिए इतना पैसा कमाते रहने की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? वो जिम्मेदारी है मैदान पर उतरने वाले 11 खिलाड़ियों की. आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2020 में IPL के मैचों के दौरान 10 सेकंड का विज्ञापन दिखाने के लिए कंपनियों को साढ़े 12 लाख रुपये खर्च करने पड़े थे.


खेल से ज्यादा एक्टिंग पर ध्यान


भारतीय खिलाड़ी कैसे मीडिया कंपनियों और BCCI के लिए पैसे कमाने वाली मशीन बन गए हैं इसे एक उहारण से समझिए, 2019 में क्रिकेट वर्ल्ड कप के प्रसारण के अधिकार जिस मीडिया कंपनी के पास थे. वो वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में 10 सेकंड के विज्ञापन के लिए 30 से 35 लाख रुपये मांग रही थी लेकिन जब भारत की टीम सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार कर बाहर हो गई तो ये रेट घटकर 10 से 15 लाख रुपये प्रति 10 सेकंड पर आ गए. रविवार रात को मैच के दौरान ब्रेक में आने वाले विज्ञापन देखकर आपको भी लगा होगा कि हमारे खिलाड़ी मैदान पर खेल कम रहे हैं और विज्ञापनों में एक्टिंग ज्यादा कर रहे हैं.


रक्षा बजट से बड़ा सट्टा बाजार


इस दौरान आपको बहुत सारे ऐसे Apps के विज्ञापन भी दिखे होंगे जिन पर आप अपनी टीम बना सकते हैं और उससे पैसे भी कमा सकते हैं. ये एक तरह का जुआ है. इन विज्ञापनों के अंत में एक डिस्क्लेमर भी आता है कि आपको इस की लत लग सकती है और इसमें वित्तीय जोखिम भी है. भारत में क्रिकेट पर Online Betting का बाजार 22 हजार करोड़ रुपये का है और भारत में औसतन 14 करोड़ लोग इन Apps पर अपनी टीम बनाकर उस पर पैसा लगाते हैं और IPL के दिनों में तो ऐसा करने वालों की संख्या बढ़कर 37 करोड़ हो जाती है. जबकि भारत में स्मार्ट फोन यूजर्स की संख्या 74 करोड़ है. यानी स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वाले भारत के आधे से ज्यादा लोग कानूनी रूप से क्रिकेट पर सट्टा लगाते हैं. ये तो सट्टे का वो बाजार है जिस पर किसी तरह की कोई कानूनी रोक नहीं है, जबकि एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गैर कानूनी तरीके से क्रिकेट पर जो सट्टा लगाया जाता है उसका मूल्य 9 लाख करोड़ रुपये है. ये भारत के रक्षा बजट का तीन गुना है.


पैसे कमाने की मशीन बने खिलाड़ी


इससे आप समझ सकते हैं कि भारत में क्रिकेट का कितना बड़ा बाजार है. अगर कानूनी और गैरकानूनी सबकुछ मिला लिया जाए तो भारत का क्रिकेट 10 से 15 लाख करोड़ रुपये का मूल्य रखता है. पूरी दुनिया में 140 देश ऐसे हैं जिनकी कुल GDP इससे भी कम है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्यों हमारे खिलाड़ी 'Well Paid' तो हैं लेकिन 'Well Played' कहने वाली स्थिति में नहीं हैं. कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि हमारे खिलाड़ी इसी गलतफहमी में जी रहे हैं जहां उन्हें लगता है कि ये चमक सदा के लिए है और इसी चमक के बीच क्रिकेट अब खेल से ज्यादा TV Reality Show बन गया है और हमारे खिलाड़ी उससे पैसे कमाने वाली एक मशीन बन गए हैं? शायद यही वजह है कि अब हमारे खिलाड़ी बहादुर नहीं बल्कि थके हुए सिपाही लगते हैं.


22 साल बाद हुआ ऐसा 


1999 के वर्ल्ड कप के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत ग्रुप स्टेज के अपने शुरुआती दोनों मैच ही हार गया यानी 22 साल बाद ऐसा हुआ है. हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ल्ड कप में भारत का खराब प्रदर्शन पूरी दुनिया के क्रिकेट को प्रभावित करता है. वर्ष 2007 के वनडे वर्ल्ड कप में जब भारतीय टीम ग्रुप स्टेज से बाहर हो गई थी, तब ICC और स्पॉन्सर्स को भारी नुकसान हुआ था. इसी तरह 2009 और 2010 के T20 वर्ल्ड कप में भी भारत की हार से वर्ल्ड कप की व्यूअरशिप काफी नीचे गिर गई थी. ये अच्छी बात है कि आज हम क्रिकेट की दुनिया में सुपरपावर हैं क्योंकि हमारे पास पैसा है और हमने अपने खिलाड़ियों को इतना बड़ा बना दिया है लेकिन ये भी सच है कि आज भारतीय टीम मनी मशीन बन कर रह गई है.


इसका समाधान क्या है?


अब सवाल ये है कि इसका समाधान क्या है? समाधान ये है कि क्रिकेट को सिर्फ एक खेल की तरह लिया जाए इसे पैसा कमाने वाली मशीन और उद्योग ना बनाया जाए. भारत में जैसे हर समय कहीं ना कहीं चुनाव होता ही रहता है वैसे ही भारत की टीम भी पूरे साल या तो अपने देश में या फिर किसी और देश में क्रिकेट खेलती रहती है. इस साल T20 World Cup, IPL खत्म होने के दो दिन बाद ही शुरू हो गया. 14 नवम्बर को T20 वर्ल्ड कप का फाइनल खत्म होने के बाद न्यूजीलैंड की टीम को भारत के दौरे पर आना है. इसके बाद भारतीय टीम दिसम्बर, जनवरी में साउथ अफ्रीका के दौरे पर जाएगी और जब ये दौरा खत्म होगा तो फिर से भारत में आईपीएल शुरू हो जाएगा. ये सारा आयोजन चलेगा लाखों करोड़ो रुपये के विज्ञापनों के दम पर और विज्ञापनों के केंद्र में होगा हमारे खिलाड़ियों का स्टारडम.


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सुपर स्टार्स को होती है ये गलतफहमी


स्टारडम और चकाचौंध की दुनिया बड़ी निर्दयी होती है और इसमें राजा को रंक बनने में देर नहीं लगती. हमारे देश के ये करोड़ों फैन्स साधारण एक्टर्स और क्रिकेटर्स को रातों रात सुपर स्टार और सेलेब्रिटीज बना देते हैं और फिर यही फैन्स एक दिन इन सुपर स्टार्स के पुतले जलाते हैं और इनसे इस्तीफे की मांग करते हैं. इन बड़े-बड़े सुपर स्टार्स को ये गलतफहमी हो जाती है कि वो जीवन भर इस चकाचौंध की चांदनी में चमकते रहेंगे और उन्हें लगने लगता है कि ये करोड़ों फैन्स उनके पर्सनल फैन्स हैं जबकि ये चकाचौंध असल में उनकी एक्टिंग के लिए होती है या उनके खेल के लिए होती है. जब तक एक्टिंग चलती है और जब तक बल्ला चलता है, तब तक ही स्टारडम रहता है और जिस दिन बल्ला चलना बंद हुआ उस दिन सब खत्म. यही बात हमारे खिलाड़ियों को समझने की जरूरत है.