DNA with Sudhir Chaudhary: योग किसी धर्म के लिए खतरा कैसे, क्या योग करने वाले लोग सच्चे मुसलमान नहीं?
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DNA with Sudhir Chaudhary: योग किसी धर्म के लिए खतरा कैसे, क्या योग करने वाले लोग सच्चे मुसलमान नहीं?

DNA with Sudhir Chaudhary: ये पहली बार नहीं है, जब इस्लामिक कट्टरपंथियों ने योग का इस तरह से विरोध किया है. वर्ष 2015 में जब संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐलान किया था, तब हमारे ही देश में इसके खिलाफ इस्लामिक संगठनों ने फतवे जारी किए थे. 

DNA with Sudhir Chaudhary: योग किसी धर्म के लिए खतरा कैसे, क्या योग करने वाले लोग सच्चे मुसलमान नहीं?

DNA with Sudhir Chaudhary: योग किसी एक धर्म को परिभाषित नहीं करता. ये ना तो हिन्दू धर्म का है और ना ही मुस्लिम धर्म का है. योग भारतीय संस्कृति की विरासत है और ये पूरे भारत का है. लेकिन दुख की बात ये है कि आज भी दुनियाभर के इस्लामिक कट्टरपंथी योग का ये कहते हुए विरोध करते हैं कि ये हिन्दू धर्म में बताई गई जीवन शैली का एक माध्यम है और अगर कोई मुसलमान योग करता है तो इससे इस्लाम धर्म खतरे में पड़ जाएगा.

योग कर रहे लोगों पर हमला

योग के प्रति इस नफरत को आप ऐसे समझ सकते हैं. आज Maldives की राजधानी माले में स्थित नेशनल फुटबॉल स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर योग सत्र का आयोजन किया गया था. लेकिन इस दौरान इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ अचानक स्टेडियम में घुस आई और इस भीड़ ने योग कर रहे लोगों के साथ मारपीट शुरू कर दी. इस दौरान कई लोगों को स्टेडियम में मौजूद कमरों में छिप कर अपनी जान बचानी पड़ी.

इस कार्यक्रम का आयोजन Maldives की सरकार और भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र की तरफ से किया गया था और इस्लामिक कट्टरपंथियों ने चेतावनी दी थी कि अगर Maldives में कहीं भी योग दिवस मनाया गया तो वो इसका विरोध करेंगे. इसके अलावा आरोप है कि स्टेडियम के बाहर जो सुरक्षाकर्मी तैनात थे, उन्होंने भी इस भीड़ को रोकने की कोशिश नहीं की और इसके बाद सुनियोजित तरीके से योग कर रहे लोगों को स्टेडियम से खदेड़ दिया गया. इस दौरान वहां धार्मिक नारेबाजी भी की गई. हालांकि, Maldives के राष्ट्रपति ने इस घटना की निंदा की है और विरोध करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने का भरोसा दिया है.

इस्लामिक कट्टरपंथियों ने किया विरोध

ये पहली बार नहीं है, जब इस्लामिक कट्टरपंथियों ने योग का इस तरह से विरोध किया है. वर्ष 2015 में जब संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐलान किया था, तब हमारे ही देश में इसके खिलाफ इस्लामिक संगठनों ने फतवे जारी किए थे. इन संगठनों में दारुल उलूम देवबंद भी था और उस समय इन इस्लामिक संस्थानों की तरफ से ये कहा गया था कि योग के दौरान मंत्रोच्चार किया जाता है और सूर्य नमस्कार में सूर्य की अराधना होती है इसलिए ये इस्लाम धर्म के अनुरूप नहीं है.

यानी इन संस्थानों ने योग को इस्लाम विरोधी बता दिया था और ये भी कहा था कि अगर कोई मुसलमान योग करता है तो ये इस्लाम धर्म का अपमान करने के बराबर होगा. उस समय Maldives में भी इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए थे. हालांकि Maldives उन 177 देशों में शामिल है, जिसने संयुक्त राष्ट्र मे योग दिवस मनाने के प्रस्ताव का समर्थन किया था.

योग को धर्म के चश्मे से कौन देख रहा?

इसके अलावा उस समय 46 मुस्लिम देशों ने भी योग को अपनी सहमति दी थी. इनमें पाकिस्तान, कतर, UAE और सऊदी अरब जैसे देश प्रमुख हैं. हालांकि Malaysia ने तब इस प्रस्ताव का विरोध किया था और वहां आज भी योग को हिन्दू धर्म से जोड़ कर देखा जाता है. इसके अलावा Estonia, Namibia, Switzerland, Monaco, Cameroon और Libya जैसे देशों में भी योग को धार्मिक चश्मे से देखा जाता है.

सच ये है कि, योग इस्लाम विरोधी नहीं है और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नमाज में भी आठ तरह के आसन होते हैं. लेकिन इसके बावजूद इस्लामिक कट्टरपंथी मानते हैं कि जो व्यक्ति योग करता है, वो सच्चा मुसलमान हो ही नहीं सकता. लेकिन आज मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी योग दिवस सेलिब्रेट किया. सवाल यह है कि क्या योग करने वाले लोग सच्चे मुसलमान नहीं है? क्या इनके योग करने से इस्लाम धर्म खतरे में आ गया?

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