असम के सोनितपुर जिले की तेजपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद राम प्रसाद शर्मा ने उन्नाव गैंगरेप मामले में बीजेपी विधायक की संलिप्तता के सवाल पर कहा है कि गुनहगार कोई भी हो उसे सरेआम फांसी दी जानी चाहिए.
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नई दिल्लीः उन्नाव में नाबालिग लड़की से गैंगरेप और पीड़ित के पिता की हत्या के मामले में चाहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हो लेकिन पार्टी के कुछ नेता ऐसे भी है जो खुलकर इस मामले में अपनी राय सामने रख रहे हैं. असम से बीजेपी सांसद आरपी शर्मा ने कहा है कि बलात्कारी के साथ किसी भी रहम नहीं किया जाना चाहिए. असम के सोनितपुर जिले की तेजपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद राम प्रसाद शर्मा ने उन्नाव गैंगरेप मामले में बीजेपी विधायक की संलिप्तता के सवाल पर कहा है कि गुनहगार कोई भी हो उसे सरेआम फांसी दी जानी चाहिए.
आरपी शर्मा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा, 'अपराधी को सरेआम से सूली पर चढ़ा देना चाहिए या गोली मार देनी चाहिए. बलात्कारी के साथ किसी भी प्रकार का रहम नहीं किया जाना चाहिए. चाहे अपराधी बीजेपी का ही सदस्य क्यों ना हो, उसे सरेआम मौत की सजा देनी चाहिए '
The guilty should be publicly hanged or shot dead. There should be no leniency with rapists. Even if the guilty is found to be a BJP member, he should be executed publicly: RP Sharma, BJP Assam MP on #UnnaoCase pic.twitter.com/i2A2ueAnti
— ANI (@ANI) April 13, 2018
उधर उन्नाव गैंगरेप मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 मई तक सीबीआई से प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मांगी है. नाबालिग के साथ बलात्कार और बाद में पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत की अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी के पत्र को याचिका मानकर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डी बी भोंसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने यह आदेश सुनाया. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सिर्फ हिरासत में ना लिया जाए, बल्कि उनकी गिरफ्तारी भी होनी चाहिए.
इससे पहले उन्नाव में नाबालिग लड़की से सामूहिक बलात्कार के मामले में लोगों में बढ़ते रोष के बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार (12 अप्रैल) को प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद आरोपी विधायक को गिरफ्तार नहीं करने के लिये राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. अदालत ने चेतावनी दी थी कि वह अपने आदेश में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति चरमरा जाने का उल्लेख करने पर मजबूर होगी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने सत्तारूढ़ बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिग लड़की से उन्नाव में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किये जाने के सिलसिले में 12 अप्रैल को मामला दर्ज कर लिया था. साथ ही राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला किया है.
विधायक के खिलाफ यह मामला पीड़िता के अधिकारियों पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास करने और उसके एक दिन बाद पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत होने के कुछ दिन बाद दर्ज किया गया है. इस बीच, राज्य के प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने कोर्ट से कहा था कि आरोपी बीजेपी विधायक सेंगर की गिरफ्तारी के बारे में फैसला सीबीआई जांच के बाद मामले के गुण दोष के आधार पर करेगी. उन्नाव पुलिस ने 12 अप्रैल की सुबह सेंगर के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो अधिनियम के तहत माखी थाने में प्राथमिकी दर्ज की.
कोर्ट ने लगाई थी सरकार को फटकार
मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के जवाब से नाराज अदालत ने कहा, ‘‘पुलिस एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता की तरफ से प्राथमिकी दर्ज करने को तैयार नहीं है. एसआईटी रिपोर्ट के बावजूद आप दोहरा रहे हैं कि हम आगे की जांच के बाद ही कोई कार्रवाई कर सकते हैं. अगर यह राज्य में पुलिस का आचरण है तो शिकायत दर्ज कराने के लिये पीड़िता किससे संपर्क करेगी. अगर यह रुख आप बार-बार अपना रहे हैं तो हम अपने आदेश में यह कहने को मजबूर होंगे कि राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गई है.’’