ये हैं वो 4 कारण जिनके चलते विष्णुदेव CM की रेस में निकल गए आगे, ऐसे बने छत्तीसगढ़ के नए 'कप्तान'
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ये हैं वो 4 कारण जिनके चलते विष्णुदेव CM की रेस में निकल गए आगे, ऐसे बने छत्तीसगढ़ के नए 'कप्तान'

Vishnudeo Sai Profile: विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ का जाना-माना आदिवासी चेहरा हैं. आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए उनके किए गए काम के कारण वह काफी पॉपुलर हैं. उनकी पत्नी भी सामाजिक कार्यकर्ता हैं. राज्य में सबसे ज्यादा आदिवासी समाज की आबादी है.  भारत की करीब 7.5 फीसदी आदिवासी आबादी छत्तीसगढ़ में रहती है. 

ये हैं वो 4 कारण जिनके चलते विष्णुदेव CM की रेस में निकल गए आगे, ऐसे बने छत्तीसगढ़ के नए 'कप्तान'

Vishnudeo Sai Biography: 4 बार सांसद और 3 बार विधायक बनने वाले विष्णुदेव साय के हाथों में छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी गई है. छत्तीसगढ़ की कुनकुरी विधानसभा सीट से जीतने वाले विष्णुदेव साय दो साल 68 दिन तक छत्तीसगढ़ बीजेपी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.  आदिवासी समुदाय से आने वाले विष्णुदेव साय अजीत जोगी के बाद राज्य के दूसरे आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे. अब उनके सामने सरकार चलाने के साथ-साथ साल 2024 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी को जीत दिलाने की भी जिम्मेदारी होगी. आइए अब आपको बताते हैं वो कारण, जिनके कारण बीजेपी ने विष्णुदेव साय पर दांव लगाया.

आदिवासी चेहरा

विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ का जाना-माना आदिवासी चेहरा हैं. आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए उनके किए गए काम के कारण वह काफी पॉपुलर हैं. उनकी पत्नी भी सामाजिक कार्यकर्ता हैं. राज्य में सबसे ज्यादा आदिवासी समाज की आबादी है.  भारत की करीब 7.5 फीसदी आदिवासी आबादी छत्तीसगढ़ में रहती है. राज्य की 30 फीसदी आबादी आदिवासी है और 90 विधानसभा सीटों में से 23 इसी समाज के लिए आरक्षित है. सरल स्वभाव के विष्णुदेव साय के नाम का विधायक दल की बैठक में किसी ने विरोध नहीं किया. बीजेपी की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी है, ऐसे में विष्णुदेव साय हर खांचे में फिट बैठते हैं.   

साफ छवि, संगठन का अनुभव

21 फरवरी 1964 को बगिया में जन्मे विष्णुदेव साय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे चुके हैं. जून 2020 में पार्टी ने उनको छत्तीसगढ़ बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था. करीब 2 साल तक उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली और पार्टी को मजबूत करने का काम किया. उनकी संगठन में अच्छी पकड़ मानी जाती है. वह पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी भी हैं, इसका फायदा भी उनको मिला है. इसके अलावा भूपेश बघेल सरकार में भ्रष्टाचार का मुद्दा बीजेपी ने जोर-शोर से उठाया था. ऐसे में बीजेपी विष्णुदेव साय की साफ छवि बनाम भ्रष्टाचार का मुद्दा भी बीजेपी उठा सकती है.  

संघ के करीबी

किसान परिवार में जन्मे विष्णुदेव साय ने साल 1989 में पंच पद से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद वह 1990 में निर्विरोध सरपंच बने और फिर साल 1990 से 1998 तक एमपी विधानसभा के सदस्य रहे. वह संघ के करीबी माने जाते हैं. आरएसएस के कई कार्यक्रमों में वह नजर आ चुके हैं. साल 1999 में वह पहली बार रायगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव जीते. साल 2006 में उनको बीजेपी ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी. साल 2009 के आम चुनावों में वह रायगढ़ फिर जीते. 2014 में इसी सीट से लोगों ने दोबारा विजय दिलाई और मोदी सरकार 1.0 में उनको केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री बनाया गया. 

मिशन 2024 के लिए मजबूत सिपाही

छत्तीसगढ़ की कमान मिलने के बाद विष्णुदेव साय के पास अब दोहरी जिम्मेदारी होगी. बीजेपी ने पहले ही कह दिया था कि इस बार आदिवासी समाज को उचित सम्मान दिया जाएगा. ऐसे में विष्णुदेव साय सरकार तो चलाएंगे ही लेकिन साथ ही उनके सामने पीएम मोदी और अमित शाह की कसौटी पर खरे उतरने की भी जिम्मेदारी होगी. छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटें हैं. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की 9 सीटों पर कब्जा जमाया था जबकि कांग्रेस के खाते में 2 ही सीट आई थीं. ऐसे में दलित चेहरे को सीएम बनाकर बीजेपी ने आदिवासी समाज को संदेश दिया है. इस वजह से उसे 2024 के चुनाव में फायदा हो सकता है.   

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