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जयपुर: हमारे देश में विधवा महिलाओं की हालत किसी से छिपी नहीं है. पति की मौत हो जाने के बाद उन्हें जिंदगीभर विधवा का जो जीवन बिताना पड़ता है, उसे सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. हालांकि अब समाज में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं. राजस्थान में जवान बेटे की मौत के बाद मां-बाप ने बहू के लिए जो फैसला किया, उससे आज हर कोई मिसाल दे रहा है.
27 साल की सुनीता (Sunita) वर्ष 2016 में राजस्थान (Rajasthan) में सीकर जिले (Sikar) के ढांढण गांव में बहू बनकर आई थी. करीब 6 साल बाद उसी घर से फिर उनकी डोली उठी. सुनीता के सास-ससुर ने मां-बाप की जिम्मेदारी निभाते हुए सुनीता का दूसरा विवाह (Second Marriage) कर दिया.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक सुनीता शादी के बाद अपनी ससुराल आई तो बहुत खुश थी. पति उस पर बहुत लाड़ लड़ाता था. दोनों का जीवन सुखमय बीत रहा था. तभी उनकी खुशहाल जिंदगी को नजर लग गई. शादी के कुछ महीने बाद उनके पति को अचानक ब्रेन स्ट्रोक आया, जिसमें उनकी मौत हो गई. इसी के साथ सुनीता इतनी कम उम्र में विधवा बन गई.
सुनीता के जेठ रजत बांगड़गा बताते हैं, 'शुभम मेरा छोटा भाई था. उसकी शादी मई 2016 में सुनीता से हुई थी. सितंबर 2016 में शुभम एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए किर्गिस्तान गया था. नवंबर 2016 को शुभम को किर्गिस्तान में ब्रेन स्ट्रोक आया, जिसमें उसकी मौत हो गई.'
सुनीता (Sunita) की उम्र उस समय 21 साल थी. सुनीता की तरह उसके सास-ससुर भी इस सदमे से टूट चुके थे. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब बहू की जिंदगी कैसे कटेगी. उन्होंने सुनीता की रजामंजी से उसे आगे पढ़ाने का फैसला किया.
करीब 5 साल की मेहनत के बाद सुनीता ने पढ़ाई पूरी कर ली और चुरू जिले में सरकारी टीचर की नौकरी हासिल कर ली. सुनीता की सास कमला देवी ने बताया कि बहू की रजामंदी से उसकी पढ़ाई और नौकरी करवाने का फैसला किया. इस शादी (Second Marriage) में रजत ने सुनीता के बड़ी भाई की भूमिका निभाई. जबकि सास-ससुर ने कन्यादान दिया.
सुनीता (Sunita) की दूसरी शादी (Second Marriage) सीकर में रहने वाले मुकेश मवालिया से हुई है. वे सरकारी अधिकारी हैं और इन दिनों भोपाल में तैनात हैं. उनकी पहली पत्नी राजस्थान पुलिस में थीं और शादी के कुछ समय बाद ही एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी. इस तरह उनकी भी ये दूसरी शादी थी.
वे इस शादी को सकारात्मक पहल मानते हैं. वे कहते हैं कि हमारे समाज में यह एक बहुत बड़ी पहल है. किसी महिला के पति की मौत होने पर उसे जिंदगी भर विधवा का जीवन बिताने को मजबूर कर दिया जाता था. लेकिन मुझे खुशी है कि अब हमारा देश और समाज बदल रहा है. सुनीता के ससुराल वालों ने बेटी मानकर उसे पढ़ाया, उसकी नौकरी लगवाई और फिर दूसरी शादी (Second Marriage) करवाकर घर से विदा किया. यह अपने आप में बड़ी बात है.
अपनी दूसरी शादी के बाद सुनीता बहुत भावुक दिखाई दी. उन्होंने कहा कि हमारे समाज में विधवा औरतों के साथ ये सब नहीं होता. उन्हें नाउम्मीदी और निराशा के बीच में अपनी पूरी जिंदगी जीनी पड़ती है. लेकिन मेरे सास-ससुर ने मुझे बेटी के रूप में सम्मान दिया और पढ़ाई-नौकरी के बाद शादी करवाई. मैं इस बात को कभी नहीं भूलूंगी. मैं इस घर की बेटी थी और हमेशा रहूंगी.
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शुभम के बड़े भाई रजत कहते हैं, 'इतनी छोटी उम्र में छोटे भाई के चले जाने का दुख तो बहुत है लेकिन अब गुजरा समय वापस नहीं आ सकता. उसके जाने के बाद हमने सुनीता (Sunita) में ही अपने भाई का रूप देखा और कोशिश की कि वह हमेशा खुश रहे. वह अब मेरी बहन है और मैं चाहूंगा कि उसे हमेशा बहुत सारी खुशियां मिलें.'
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