शिवसेना ने एक बार फिर अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मीडिया पर निशाना साधा है.
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मुंबई: शिवसेना ने एक बार फिर अपने मुखपत्र 'सामना' में बीजेपी, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और मीडिया पर निशाना साधा है. शिवसेना (Shiv Sena) ने वेब सीरीज 'तांडव' को लेकर शुरू हुए विवाद पर सवाल खड़े किए हैं.
सामना (Saamana) लिखता है, 'एम एफ हुसैन निसंदेह महान चित्रकार थे, लेकिन उन्होंने हिंदू देवताओं के चित्र जिस तरह से बनाए, उस पर शिवसेना ने आपत्ति जताई थी. विवाद इतना बढ़ा कि एम एफ हुसैन को देश छोड़कर जाना पड़ा. हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर किसी भी स्थिति में समझौता संभव ही नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जो ‘तांडव’ शुरू किया है, उसमें प्रामाणिकता का अंश कितना है, उस पर संदेह है क्योंकि, जो ‘तांडव’ (Tandav) के विरोध में खड़ी है, वही भाजपा भारत माता का अपमान करनेवाले उस अर्णब गोस्वामी के संबंध में मुंह में उंगली दबाकर चुप क्यों बैठी है?'
सामना में आगे लिखा गया है, ' हिंदुस्तानी सैनिकों और उनकी शहादत का अपमान जितना गोस्वामी ने किया है, उतना अपमान पाकिस्तानियों ने भी नहीं किया होगा. एक तो ‘पुलवामा’में हमारे सैनिकों की हत्या यह देशांतर्गत राजनैतिक षड्यंत्र था. लोकसभा चुनाव जीतने के लिए इन 40 जवानों का खून बहाया गया, ऐसे आरोप उस समय भी लगे थे. अब अर्नब गोस्वामी की जो व्हॉट्सऐप चैट बाहर आई है, वह उन आरोपों को बल देनेवाली ही है. ऐसा कहने के कारण हैं. ये सब देखकर स्वयं भगवान श्रीराम भी अपना माथा पीट रहे होंगे. लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इस पर ‘तांडव’ तो छोड़िए, भांगड़ा भी नहीं किया.'
सामना ने लिखा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित अनेक गोपनीय बातें गोस्वामी ने सार्वजनिक कर दीं. इस पर भाजपा ‘तांडव’ क्यों नहीं करती? चीन ने लद्दाख में घुसकर हिंदुस्तानी जमीन पर कब्जा कर लिया. चीन पीछे हटने को तैयार नहीं, इस पर ‘तांडव’ क्यों नहीं होता? गोस्वामी को गोपनीय जानकारी देकर राष्ट्रीय सुरक्षा की धज्जियां उड़ानेवाले असल में कौन थे, जरा पता चलने दो. गोस्वामी द्वारा 40 जवानों की हत्या पर आनंद व्यक्त करना, यह देश, देव और धर्म का ही अपमान है.
सामना ने देश के प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा कि हिंदुत्व और भारत माता का अपमान केवल ‘तांडव’ तक ही सीमित नहीं है. पीएम मोदी ये भगवान विष्णु के 13वें अवतार हैं, ऐसा भाजपा के प्रवक्ता द्वारा कहा जाना, यह ‘तांडव’ की तरह ही हिंदुत्व का अपमान है और आखिर में सामना ने मीडिया पर भी सवाल खड़े कर दिए. देश के तमाम तथाकथित राष्ट्रभक्त कहे जानेवाले मीडिया पर ये लोग खुद को देश का चौथा स्तंभ या जो कुछ समझते हैं. फिर उनमें से एक दीमक ने देश के चौथे स्तंभ को खोखला कर दिया, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गोपनीयता सार्वजनिक कर दी, उसने देशद्रोह ही किया फिर भी ‘मीडिया’शांत क्यों?
सामन लिखता है, 'अब तक सुशांत, कंगना, ईडी, धनंजय मुंडे मामलों में चौबीसों घंटे बड़बड़ाने वाले अर्नब के देशद्रोही कृत्यों पर घृणा तो छोड़िए, लेकिन रोष तक न करें, तब दुख होता है. सौ ग्राम गांजा किसी के पास पकड़ा गया तो ‘तांडव’ करनेवाली मीडिया अर्नब के देशद्रोही कृत्यों पर ‘राष्ट्रीय बहस’ करने को तैयार नहीं क्योंकि, उन्होंने अपनी स्वतंत्रता और राष्ट्राभिमान किसी के चरणों में गिरवी रख दिया है. स्वतंत्रता की, राष्ट्रवाद की लड़ाई दूसरे लड़ें, ये मात्र राष्ट्र का चौथा स्तंभ बनकर घूमते फिरें. सब धंधा बन गया है, दोष आखिर किसे दें? ‘तांडव’शुरू है, ये चलता ही रहेगा.'
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