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नई दिल्ली: काफी समय से कहा जा रहा है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया (Social Media) पर ज्यादा वक्त बिताना बच्चों के लिये सही नहीं है. इस तथ्य को अब खुद दुनिया की लीडिंग सोशल मीडिया कंपनी ने स्वीकार किया है. यहां बात फेसबुक (Facebook) की जिसके अधिकारियों ने पिछले साल मार्च 2020 में एक रिसर्च किया था. इसके नतीजों में कहा गया कि टीनेजर्स के लिए इंस्टाग्राम (Instagram) सबसे ज्यादा हानिकारक है.
फेसबुक ने इन नतीजों को दुनिया के सामने आने से रोक दिया था, ताकि उनका कारोबार प्रभावित न हो. लेकिन वॉल स्ट्रीट जर्नल की हालिया रिपोर्ट ने उस रिपोर्ट की जानकारी सार्वजनिक कर दी है. दरअसल किशोरों पर अब तक पब्लिश हुईं कई अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक यह सामने आया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स किशोरों के लिए हानिकारक है. कोरोना कॉल से पहले भी कई रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म किशोरों के लिए हानिकारक हैं.
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ऐसे में कोरोना के बाद लोगों की जिंदगी में वर्क फ्रॉम होम तो आया ही है. साथ ही बच्चों के जीवन में भी ऑनलाइन एजुकेशन ने दस्तक दी हुई है. ऐसे में एजुकेशन एप्लीकेशंस के साथ कई बच्चे फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम जैसे एप्लीकेशंस का भी इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यह उनके लिए हानिकारक साबित हो रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक आजकल सभी किशोर ज्यादातर ऑनलाइन ही रहते हैं. प्यू रिसर्च सेंटर के के एक सर्वेक्षण के मुताबिक 89% बच्चे लगातार या दिन में कई-कई बार ऑनलाइन रहते हैं. ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला एप्लीकेशन इंस्टाग्राम है. किशोर या 10 से 19 साल के बच्चे जब सबसे ज्यादा इस एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते हैं तब उनकी छवि व्यवहार और उनकी मनोदशा या मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. साथ ही उनकी एकाग्रता या कंसंट्रेशन पर भी नियंत्रण नहीं रह पाता है. इससे उनके मानसिक विकास पर भी गहरा असर पड़ता है.
(सांकेतिक तस्वीर)
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इस रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि किशोर अपने शरीर की छवि या किसी तस्वीर को भी वस्तु के रूप में देखते हैं. इन एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते हुए वह अपनी तुलना दूसरों से करते हैं और यह सोचते हैं कि वह खुद कैसे दिखते हैं. कई बार ऐसे बच्चे ऐसी तस्वीरें देखकर अपने आप में शर्मिंदगी महसूस करते हैं. इसे तुलनात्मक प्रभाव कहा जाता है जो बच्चों के जीवन पर गहरा असर डाल रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक किशोरावस्था के दौरान शरीर में हो रहे बदलावों से असंतुष्टी को लेकर बच्चों में मानसिक विकार भी पैदा हो सकते हैं.
हालांकि फेसबुक ने अब भी इसे पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं किया है. ऐसे में अभिभावक थी अपने बच्चों को तस्वीरों या छवि में अंतर करके और अपने बच्चों से हर विषय पर बात करके उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के उपयोग की जानकारी दे सकते हैं. साथ ही उन्हें यह भी समझा सकते हैं कि किस तरीके से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करना है और कितना उपयोग करना उनके लिए सही है.