नई दिल्‍ली : जम्‍मू और कश्‍मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्‍छेद 35A को लेकर देश में माहौल गर्म है. सरकार से इसे खत्‍म करने को लेकर मांग उठ रही है. अनुच्‍छेद 35A हटाने का मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट में हो लेकिन इसको लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है. पुलवामा हमले के बाद सरकार पर जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का दबाव लगातार बन रहा है. ऐसे में सरकार के पास क्या-क्या ऑप्शन हो सकते हैं, इस पर जानकारों की अपनी-अपनी राय है.


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1. सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से अनुच्‍छेद 35A को हटाने के लिए अध्यादेश ला सकती है. 


2. केंद्र सरकार अगर अध्यादेश लाती है तो इसमें कोई बाधा नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए जा सकते हैं. जानकारों का कहना है कि चुनाव से पहले और पुलवामा अटैक के बाद में प्रदेश की स्थिति संवेदनशील है और ऐसे में इसे लाना ठीक नहीं है.


3. संविधान के जानकार ये भी कह रहे हैं कि 'मूल संविधान में अनुच्छेद 35A शामिल नहीं था. इसे संविधान सभा की ओर से पारित नहीं किया गया था. इसे राष्ट्रपति के आदेश के जरिए संविधान में शामिल किया गया. इसीलिए इसे सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश से ही हटाया जा सकता है.


संविधान का अनुच्‍छेद 35A राज्‍य को विशेष दर्जा देता है. फाइल फोटो

4. कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि राष्ट्रपति के आदेश के बाद भी इसे हटाने के लिए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की सहमति जरूरी है. क्योंकि जम्मू-कश्मीर में सरकार नहीं है. ऐसे में राज्यपाल ही सर्वेसर्वा हैं. अगर विधानसभा भंग नहीं हुई होती तो विधानसभा से इसके लिए सहमति लेनी होती.


5. वैसे सरकार के विश्वस्त सूत्रों का ये भी कहना है कि चूंकि ये मामला कोर्ट में है, इसीलिए सरकार फिलहाल इस मामले पर कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी. जैसे कि अयोध्या मामले में सरकार का स्टैंड है.