नई दिल्‍ली: तेलंगाना एनकाउंटर मामले (Telangana Encounter Case) की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने पूछा कि क्‍या एनकाउंटर के दौरान कोई पुलिस वाला घायल नहीं हुआ? इस पर तेलंगाना राज्‍य की तरफ़ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा कि दो पुलिसवाले घायल हुए. सीजेआई ने पूछा क्‍या गोली से? रोहतगी - नहीं पत्थर से. हर आरोपी के पास पिस्टल नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या बॉडी का पोस्टमार्टम हुआ है? रोहतगी ने कहा कि बिलकुल सही तरीके से पोस्टमार्टम हुआ है. रोहतगी ने कहा कि आरोपियों ने पुलिस की पिस्टल छीन कर फायर किया. तब पुलिस को गोली चलानी पड़ी. आरोपियों के ख़िलाफ़ पुलिस से हथियार छीनने की एफ़आइआर दर्ज की गई है.


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चीफ़ जस्टिस- हम चाहते हैं कि एक कमेटी भी इसकी जांच करे और कोर्ट को अपनी रिपोर्ट दे. रोहतगी ने विरोध करते हुए कहा कि दो अलग अलग जांच एक साथ चलना सही तरीक़ा नहीं है. मुकुल रोहतगी ने कहा कि जो जज नियुक्त होंगे वो एसआईटी की जांच पर नजर रखेंगे.


हैदराबाद एनकाउंटर की जांच के लिए आयोग का गठन, सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने में मांगी रिपोर्ट


रोहतगी ने कहा कि एसआईटी जो जांच करेगी, उसकी रिपोर्ट वो जज को देंगे, अगर जज को लगता है कि किसी पहलू की जांच नहीं हुई तो वो जांच को कहेंगे, लेकिन एक ही समय में दो अलग-अलग जांच नहीं चल सकती. रोहतगी ने कहा कि कोर्ट अगर मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज की नियुक्ति करता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन एनएचआरसी और हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई बंद होनी चाहिए. रोहतगी ने कहा कि एसआईटी इस मामले की पहले से ही जांच कर रही है. NHRC ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया है. मामले में मजिस्ट्रेट जांच भी चल रही है. मामले में हाई कोर्ट भी सुनवाई कर रहा है.


तीन सदस्‍यीय आयोग का गठन
इस पर व्‍यवस्‍था देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमीशन बनाया. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज वी एस सिरपुरकर की अध्यक्षता में आयोग बनाया गया. जिन परिस्थितियों में चारों आरोपियों को गोली मारी गयी, उसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस  सिरपुरकर  की अगुवाई में तीन सदस्यीय कमीशन का गठन किया गया. तीन सदस्यीय कमीशन 6 महीने में रिपोर्ट देगा. कोई मुआवज़ा नहीं दिया जाएगा. कोई और जांच नहीं चलेगी, NHRC और हाईकोर्ट जांच नहीं होगी.


इससे पहले जब सुनवाई शुरू हुई तो याचिकाकर्ता वकील जीएस मणि ने कहा कि यह एनकाउंटर पूरी तरह से संदिग्ध है. CJI ने पूछा-आपका क्या लेना देना है इससे. वकील मणि ने कहा कि यह मानवाधिकार से जुड़ा मामला है.  दरअसल अक्सर जनहित याचिकाएं दायर कर मीडिया में बने रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील जी एस मणि ने ये याचिका खुद दाखिल की है. एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई थी. साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार और एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई. याचिका में आरोप लगाया गया है कि एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया.