भूकंप की जल्दी चेतावनी के लिए Google की नई योजना, सुंदर पिचाई ने किया खुलासा
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भूकंप की जल्दी चेतावनी के लिए Google की नई योजना, सुंदर पिचाई ने किया खुलासा

 गूगल (Google) और अल्फाबेट (Alphabet) के सीईओ सुंदर पिचाई ने दावा किया है कि गूगल ने काफी पहले ऐसी तकनीकी के साथ प्रयोग करने शुरू कर दिए थे, जो भूकंप और सुनामी की आहट पहले से ही भांप लेती है. 

भूकंपा का पहले पता लगाने के लिए कंपनी समुद्र के अंदर की फाइबर केबल्स का इस्तेमाल करेगी.

नई दिल्ली: गूगल (Google) और अल्फाबेट (Alphabet) के सीईओ सुंदर पिचाई ने दावा किया है कि गूगल ने काफी पहले ऐसी तकनीकी के साथ प्रयोग करने शुरू कर दिए थे, जो भूकंप और सुनामी की आहट पहले से ही भांप लेती है. कंपनी इसके लिए समुद्र के अंदर की फाइबर केबल्स का इस्तेमाल करेगी. ये केबल्स सुनामी और भूकंप के आने से पहले ही पहचानने में समर्थ होती हैं, और एक वार्निंग सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल में लाई जा सकती हैं. ये ऑप्टिकल फाइबर केबल्स 100 किमी तक के क्षेत्र में कोई भी हलचल को भांपने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. 

गूगल ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो एक बड़े इलाके को कवर कर सकती है. गूगल के मुताबिक, वो समुद्री सतह पर कोई भी हलचल को पहचानने के लिए पहले से मौजूद फाइबर केबल्स का ही इस्तेमाल कर रहे हैं. कंपनी ने अपनी एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा है, "और भी बेहतर है, हमारी तकनीक उन उपकरणों पर निर्भर करती है, जो दुनियाभर में मौजूद ज्यादातर फाइबर ऑप्टिक सिस्टम्स के पास हैं, इसलिए ये बड़े तौर पर लागू की जा सकती है." 

गूगल के मुताबिक ये ऑप्टिक फाइबर्स समुद्र की सतह के जरिए विभिन्न महाद्वीपों को जोड़ सकती हैं, जिसके जरिये अधिकांश इंटरनेट ट्रैफिक भी गुजरता है. आगे लिखा है, "समुद्र के नीचे बिछी केबल्स का गूगल ग्लोबल नेटवर्क सूचनाओं को दुनियां भर में प्रकाश की गति से शेयर करने, सर्च करने, भेजने और पाने को मुमकिन बनाता है." 

 

 

ये केबल्स ऑप्टिकल फाइबर्स से बनी होती हैं जो डाटा को 'लाइट पल्स' के रूप में 204,190 किमी प्रति सेकंड की गति से ले जा सकती हैं. जहां ये पहुंचती हैं, वहां इनकी कमियां सुधारने के लिए एक डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर का इस्तेमाल किया जाता है. जब ये ऑप्टिकल ट्रांसमीशन के एक हिस्से के रुप में ट्रैक की जाती हैं, तब प्रकाश स्टेट ऑफ पोलराइजेशन (SOP) की अवस्था में होता है. गूगल के मुताबिक, "केबल के साथ मशीनी बाधाओं की प्रतिक्रिया में SOP में बदलाव होते हैं, इन बाधाओं को ट्रैक करने से हमें भूकंपीय हलचलों को पकड़ने में मदद मिलती है."

गूगल ने ये प्रोजेक्ट 2013 में शुरू किया था और इसके लिए पहला प्रयोग 2019 में किया था. तब से ये तकनीकी मैक्सिको और चिली में हल्के भूकंपों को पहले से पहचान भी चुकी है. अगर सफलतापूर्वक लागू हो गई, तो ये तकनीकी लाखों लोगों की जिंदगियां बचा सकती है.    

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