सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर लॉकडाउन में केरल सरकार की इस ढील के दौरान कोरोना के मामले बढ़ते हैं, तो इस पर उचित एक्शन लिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को लगता है कि कोविड संक्रमण के मद्देनजर ठीक कदम नहीं उठाया जा रहा तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए.
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नई दिल्ली: बकरीद को लेकर लॉकडाउन में ढील पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को फटकार लगाई है. आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से कहा कि यह हैरान करता है कि राज्य सरकार ने व्यापारियों के दबाव के आकर इस तरह कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार उन आदेशों का पालन करे, जो अदालत ने कांवड़ यात्रा केस में दिए हैं.
केरल सरकार ने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की सलाह न मानते हुए 20 तारीख को ईद से पहले लॉकडाउन में ढील दी जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि ईद के लिए कोविड के नियमों में ढील देने से केरल में कोरोना का विस्फोट हो सकता है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी केरल सरकार को एक चिट्ठी लिख कर उसके फैसले की आलोचना की और कहा कि ईद के धार्मिक आयोजन पर लॉकडाउन में ढील देने से कोरोना फैल सकता है.
आज सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई. वकील विकास सिंह ने कहा कि केरल सरकार का हलफनामा चौंकाने वाला है. वहीं केरल सरकार की ओर से वकील रंजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार पूरी सख्ती बरत रही है. 15 जून से क्षेत्रवार तरीके से एहतियात बरती गई है. केरल यह स्वीकार करता है हलफनामे में कि पॉजिटीविटी रेट 10 प्रतिशत से ऊपर है, लेकिन बकरीद में दुकानें खोलने कि मंजूरी देता है. रंजीत कुमार ने कहा कि बकरीद के मद्देनजर सिर्फ दुकानों को खोलने कि वहां छूट दी गई, जहां मामले कम थे.
इस पर जस्टिस नरीमन ने कहा कि टेक्सटाइल और फुटवियर जरूरी सामान के दायरे में नहीं आता, जिसे आपकी ओर से मंजूरी दी गई, जबकि पॉजिटिविटी रेट बहुत ज्यादा है. जस्टिस आरएफ नारिमन ने केरल सरकार से कहा कि आप गलत जानकारी दे रहे हैं. यह सही नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार के इस फैसले ने जीवन के अधिकार को खतरे में डाला. यह केरल सरकार का बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रवैया है, जिसने अनुच्छेद 21 और 144 का ख्याल नहीं रखा और नागरिकों के अधिकारों को ताक पर रख दिया. इस तरह कि नीतियों से कोविड संक्रमण में तेजी आने कि पूरी संभावना बनती है.
अदालत ने कहा कि हमने केवी नांबियार के आवेदन को सुना, जो अखबारों में छपी खबरों के आधार पर केरल द्वारा बकरीद को लेकर दी गई छूट के खिलाफ दी गई थी.
केरल सरकार ने हलफनामा दाखिल किया, जिसमें 9 से 11 तक और अन्य संबंधित दस्तावेज हैं. 15 जून को जारी नोटिफिकेशन में जो वर्ग रखे गए. उसमें कम संक्रमण क्षेत्र से लेकर गंभीर संक्रमण क्षेत्र को वर्गीकृत किया गया है.
दूसरे नोटिफिकेशन में सात चीजों को जरूरी सामान के दायरे में रखकर दुकानों को खोलने की छूट दी गई है. यह छूट गंभीर संक्रमण वाले क्षेत्रों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ दी गई. 7 जुलाई को जारी नोटिफिकेशन में बकरीद को लेकर छूट दी गई. इसमें सभी गैर जरूरी दुकानों को 'अ' वर्ग में खोला गया. इसमें लोगों को सावधानी के साथ दुकानों से खरीद करने को कहा गया. साथ ही बहुत ही गंभीर है कि 'डी' वर्ग में भी छूट दी गई. इसमें उन लोगों को दुकानों पर जाने कि छूट दी गई जो वैक्सीन का एक डोज ले चुके थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को लगता है कि कोविड संक्रमण के मद्देनजर ठीक कदम नहीं उठाया जा रहा तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया कि यदि कोई अप्रिय घटना होती है और कोई नागरिक इस घटना को लेकर हमसे संपर्क करता है, तो कार्रवाई की जाएगी.
बकरीद के लिए लॉकडाउन में छूट पर केरल सरकार द्वारा अधिसूचना को रद्द करने पर सुप्रीम द्वारा कोई आदेश नहीं दिया गया. वहीं जब आज सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि कुछ आदेश पारित किए जा सकते हैं. क्योंकि, आज ढील का आखिरी दिन है तो इस पर जस्टिस नरीमन ने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है. अब वक्त निकल चुका है.
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