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नई दिल्ली: कोरोना (Corona) की तीसरी लहर (Third Wave) की आशंका के बीच एक चिंताजनक खबर आई है. एक सर्वे में सामने आया है कि 28 प्रतिशत भारतीय अगस्त-सितंबर के महीने में यात्रा करने की योजना बना रहे हैं. इसी दौरान रक्षाबंधन (Rakshabandhan) जैसा प्रमुख त्योहार भी आएगा. लोकल सर्कल्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा किए गए सर्वे में यह चिंताजनक आंकड़े उस समय सामने आए हैं, जब विशेषज्ञ बार-बार भीड़ जमा करने से बचने की चेतावनी दे रहे हैं. पर्यटन स्थलों (Tourist Spot) पर इस तरह लोगों का जमावड़ा COVID-19 महामारी की तीसरी लहर को न्योता देगा.
इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने तीसरी COVID-19 लहर आने के खतरे का अंदाजा लगाने के लिए और आगामी महीनों में लोगों की यात्रा योजनाओं (Travel Plans) को समझने के लिए यह सर्वे किया था. साथ ही सर्वे में दूसरी लहर के दौरान लोगों द्वारा की गई यात्राओं की वजह जानने की भी कोशिश की गई. यह सर्वे 311 जिलों के 18 हजार से ज्यादा लोगों के बीच किया गया. इन लोगों में 68 फीसदी पुरुष और 32 फीसदी महिलाएं थीं.
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सर्वे में सामने आया है कि 28 प्रतिशत लोग अगस्त-सितंबर के महीने में यात्रा करने की योजना बना रहे हैं. इनमें से 5 फीसदी लोगों ने बुकिंग भी कर दी हैं. LocalCircles ने अपने बयान में कहा है, '63 फीसदी लोगों ने कहा कि इन 2 महीनों में यात्रा करने की उनकी कोई योजना नहीं है. वहीं 23 फीसदी ने कहा कि वे यात्रा पर जाने वाले हैं लेकिन अभी टिकट बुक नहीं किए हैं. वहीं 5 फीसदी लोगों ने अपने ट्रैवल टिकट और होटल बुकिंग करा ली हैं. बाकी 9 फीसदी लोगों ने यात्रा को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है.'
अगस्त-सितंबर के महीने में देश के कई हिस्सों में विभिन्न त्योहारों के कारण छुट्टियां पड़ती हैं. ऐसे में कई लोग एक-दो दिन की छुट्टी में वीकेंड जोड़कर यात्रा पर चले जाते हैं. सर्वे के मुताबिक जिन लोगों ने ट्रैवल करने की बात कही है उनमें से 13 फीसदी लोगों ने हॉलिडे डेस्टिनेशन पर जाने की योजना बनाई है. वहीं 39 फीसदी लोग परिवार और दोस्तों से मिलने के लिए ट्रैवल करेंगे. बाकी 22 फीसदी लोग अन्य यात्राओं पर जाएंगे.
इस सर्वे को लेकर LocalCircles प्लेटफॉर्म ने कहा है कि 'गैर-जरूरी यात्राओं को लेकर सरकार को लोगों के बीच जागरुकता फैलानी चाहिए, ताकि कोविड की तीसरी लहर के जोखिम को कम किया जा सके.' बता दें कि हाल ही में शिमला, मनाली जैसे हिल स्टेशंस पर टूरिस्ट की भीड़ की फोटो वायरल हुईं थीं, जिस पर विशेषज्ञों ने खतरे की घंटी करार दिया था.