Taj Mahal: ताजमहल की ये खामी जाती क्यों नहीं.. शाहजहां-औरंगजेब भी हो गए थे परेशान
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Taj Mahal: ताजमहल की ये खामी जाती क्यों नहीं.. शाहजहां-औरंगजेब भी हो गए थे परेशान

Taj Mahal: ताजमहल की खूबसूरती सदियों से लोगों का दिल बहला रही है. ताजमहल का दीदार करने दुनिया के दूर-दराज इलाकों से लोग भारत आते हैं. लेकिन इन दिनों ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए नहीं बल्कि एक खामी के चलते सुर्खियों में छाया हुआ है.

Taj Mahal: ताजमहल की ये खामी जाती क्यों नहीं.. शाहजहां-औरंगजेब भी हो गए थे परेशान

Taj Mahal: ताजमहल की खूबसूरती सदियों से लोगों का दिल बहला रही है. ताजमहल का दीदार करने दुनिया के दूर-दराज इलाकों से लोग भारत आते हैं. लेकिन इन दिनों ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए नहीं बल्कि एक खामी के चलते सुर्खियों में छाया हुआ है. ताजमहल की छत टपक रही है. बारिश के मौसम में ताजमहल के साथ यह समस्या देखने को मिलती ही है. ताजमहल की छत टपकने का इतिहास रहा है. आइये आपको बताते हैं उस किस्से के बारे में बताते हैं, जब औरंगजेब ने ताजमहल की छत के बारे में पिता शाहजहां को खत लिखा था.  

ताजमहल को बारिश से नुकसान

ताजमहल एक बार फिर बारिश के कारण पानी रिसाव की समस्या का सामना कर रहा है. हाल की बारिशों ने इसके गुंबद और आस-पास की जगहों को नुकसान पहुंचाया है. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब ताजमहल ने पानी की समस्याओं का सामना किया है.

जब दिल्ली चला गया शाहजहां..

इतिहास में जब मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की, तब उनका ताजमहल के प्रति ध्यान कम हो गया. ब्रिटिश लेखक फर्गस निकोल ने अपनी किताब "शाहजहां: द राइज एंड फॉल ऑफ द मुगल एम्परर" में इस पर चौंका देने वाली जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि आगरा को छोड़ने के बाद शाहजहां की ताजमहल की यात्राएं कम हो गईं और इसके रखरखाव में कमी आ गई.

औरंगजेब ने देखी तामहल की खस्ता हालत

1652 में मुगल राजकुमार औरंगजेब ने जब आगरा की यात्रा की तो उन्होंने ताजमहल की खस्ता हालत देखी. उन्होंने शाहजहां को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने बताया कि स्मारक की छत बारिश के दौरान कई स्थानों पर रिस रही है और दीवारों में दरारें आ गई हैं. औरंगजेब ने लिखा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और सम्राट के ध्यान की जरूरत है.

औरंगजेब ने चिंता व्यक्त की थी

औरंगजेब ने अपने खत में ताजमहल की सुरक्षा और स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की और सुझाव दिया कि सम्राट को इस समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठाने चाहिए. इतिहास की मानें तो ताजमहल के निर्माण के प्रारंभिक वर्षों में भी कुछ रिसाव की घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन उन्हें सुधार लिया गया था.

औरंगजेब के खत का कुछ अंश..

प्रिय सम्राट,

इस पवित्र नींव के स्मारक की इमारतें अभी भी मजबूत और स्थिर हैं... सुगंधित समाधि के ऊपर का गुंबद बारिश के मौसम में उत्तर दिशा में दो स्थानों पर रिसता है. इसी तरह, चार मेहराबदार दरवाजे, दूसरी मंजिल पर कई कोठरी, चार छोटे गुंबद... नम हो गए हैं. बड़े गुंबद की संगमरमर से ढकी छत पिछले बारिश के मौसम में दो या तीन स्थानों पर रिसी है और इसे ठीक किया गया है.

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ताजमहल के सामने आती रही हैं चुनौतियां

ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ताजमहल की ऐतिहासिक और वर्तमान स्थिति न केवल उसकी भव्यता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि यह स्मारक समय के साथ किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करता रहा है.

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