Odisha Train Crash: तकनीकी खराबी या मानवीय भूल? ओडिशा ट्रेन हादसे को लेकर उठने लगे सवाल
रेल हादसे के बाद संभावित परिचालन खामियों के बारे में सवाल उठने लगे हैं. कैसे कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस, एक खड़ी मालगाड़ी से टकराने के बाद पटरी से उतर गई और दूसरी ट्रेन, यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट, पटरी से उतरे डिब्बों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई?
ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए भीषण ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 288 हो चुकी है. वहीं, 900 से ज्यादा लोगों के घायल हुए हैं. इस हादसे के बाद प्रशासन, NDRF, सेना और स्थानीय लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए हैं. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी बालासोर में दुर्घटनास्थल पर पहुंचे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बालासोर के लिए रवाना हो चुके हैं.
शुक्रवार शाम 6.50 बजे से 7.10 बजे के बीच, ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के बीच दो टक्कर हुई, जिससे ट्रेनों के कई कोच एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए. इसके बाद घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई. अफरा-तफरी का माहौल हो गया. आनन-फानन में मौके पर पहुंची टीमों ने राहत बचाव कार्य शुरू किया और बाद में सेना को भी मौके पर भेजा गया.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ये रेल हादसा तकनीकी कारण की वजह से हुई है. रेल विभाग ने इसकी जांच के लिए कमेटी बनाई है और इसके उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि रेल मंत्री घटनास्थल पर सुबह से मौजूद हैं और वो पूरे घटनाक्रम को देख रहे हैं.
उन्होंने बताया कि दुर्घटना बहुत ही दुखद है. प्रशासन, NDRF की टीम, सेना की टीम और स्थानीय लोग मिलकर राहत एवं बचाव कार्य में लगे हैं. प्रधानमंत्री भी घटनास्थल का निरीक्षण करेंगे. वे अस्पताल पहुंचकर घायलों से मुलाकात भी करेंगे.
उठने लगे सवाल?
रेल हादसे के बाद संभावित परिचालन खामियों के बारे में सवाल उठने लगे हैं. कैसे कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस, एक खड़ी मालगाड़ी से टकराने के बाद पटरी से उतर गई और दूसरी ट्रेन, यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट, पटरी से उतरे डिब्बों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई?
टक्कर इतनी जोरदार थी कि पटरियों पर गिरने से पहले डिब्बे हवा में ऊंचे उठ गए थे. दोनों ट्रेनों के 17 डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. रेल मंत्रालय ने दुर्घटना के कारणों की जांच के आदेश दिए हैं. दुर्घटना को लेकर उठ रहे सवालों में एक सवाल ये भी है कि कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस मालगाड़ी के ट्रैक पर कैसे आ गई. क्या यह तकनीकी खराबी थी या फिर मानवीय भूल?
कुछ लोगों ने हादसे के लिए खराब सिग्नल को वजह बताया. रेलवे ने बताया कि रेलगाड़ियों को टकराने से रोकने वाली प्रणाली ‘कवच’ इस मार्ग पर उपलब्ध नहीं है. अगर ये कवच होता तो हादसे को रोका जा सकता था. इंडियन रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, ‘इस मार्ग पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी.’
कोरोमंडल एक्सप्रेस के स्लीपर क्लास के डिब्बे सबसे ज्यादा प्रभावित थे, जो छुट्टियों के दौरान लोगों से खचाखच भरे रहते हैं. आलम ऐसा होता है कि इन डिब्बों में जनरल डिब्बों के यात्री भी घुस जाते हैं और इस वजह से स्लिपर कोच की हालत भी कई बार जनरल जैसी हो जाती है.