भारत कोरोना वायरस को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है. वह प्रति दस लाख की आबादी पर जो टेस्ट कर रहा है वे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइन से ज्यादा हैं.
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नई दिल्ली: भारत कोरोना वायरस को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है. वह प्रति दस लाख की आबादी पर जो टेस्ट कर रहा है वे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइन से ज्यादा हैं. सिर्फ इतना ही नहीं भारत के 22 राज्य ऐसे हैं जहां हर 10 लाख आबादी पर रोजाना किए जाने वाले परीक्षण WHO की 140 परीक्षणों की अनुशंसा से अधिक है. सरकार के आंकड़ों से यह जानकारी मिली.
भारत में हर 10 लाख आबादी पर COVID-19 के टेस्ट लगातार बढ़ रहे हैं जोकि इस दिशा में सरकार की गंभीर अप्रोच को ही दर्शाता है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बाबत जानकारी देते हुए कहा कि पिछले 24 घंटों में 3,20,161 सेंपल की जांच के साथ अब तक के सेंपल की कुल संख्या 1,24,12,664 हो गई है.
मंत्रालय ने कहा कि बाकी बचे हुए अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी यही सलाह दी जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने की कोशिश की जाए और इसके लिए अपनी क्षमता बढ़ाई जाए. यह भी कहा गया कि अब लैब्स पहले के मुकाबले ज्यादा हो गई हैं और ये लगातार बढ़ती ही जा रही हैं जिसके चलते ज्यादा टेस्ट करना संभव हो पा रहा है.
अगर निजी लैब की संख्या को हटा दें और केवल सरकारी लैब की ही बात करें तो 865 लैब हैं. प्राइवेट लैब की बात करें तो उनकी संख्या है 358. अब इन दोनों की कुल संख्या हो जाती है 1223. टेस्टिंग के पैमानों की बात करें तो गोल्ड स्टैंडर्ड अपनाए जाते हैं और इसके अलावा आरटी पीसीआर, ट्रूनेट और सीबीएनएएटी का इस्तेमाल भी इस फैसिलिटी को बढ़ाने के लिए किया जाता है.