अगले पांच सालों में हो सकती है थलसेना के जवानों की संख्या में कटौती
थलसेना के शीर्ष अधिकारियों ने बुधवार को इस सैन्य बल में व्यापक सुधार की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी.
नई दिल्ली: थलसेना के शीर्ष अधिकारियों ने बुधवार को इस सैन्य बल में व्यापक सुधार की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी. इसका मकसद सेना की युद्धक क्षमताएं बढ़ाना है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता में बल के शीर्ष कमांडरों की दो दिवसीय बैठक में यह फैसला किया गया. सूत्रों ने बताया कि सुधार की प्रक्रिया के तहत कई इकाइयों और डिवीजनों के आकार को छोटा किया जा सकता है. खरीद की प्रक्रिया को सुचारू बनाना, बल के विभिन्न हिस्सों में ढांचागत फेरबदल और सैनिकों की संख्या में कमी लाना भी इन सुधारों में शामिल हो सकता है.
अगले माह होगी व्यापक सुधार की पहल पर गहन चर्चा
एक सूत्र ने बताया, ‘‘अगले महीने होने वाले कमांडरों के सम्मेलन में व्यापक सुधार की पहल पर गहन चर्चा की जाएगी.’’ सूत्रों ने बताया कि अभियान, व्यवस्थागत और खरीद से जुड़ी इकाइयों में बड़े पैमाने पर सुधार हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली के थलसेना मुख्यालय में स्थित राष्ट्रीय राइफल्स महानिदेशालय (डीजीआरआर) को राष्ट्रीय राजधानी से बाहर ले जाया जा सकता है. इसी तरह, सैन्य प्रशिक्षण महानिदेशालय को शिमला स्थित थलसेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) से एकीकृत किया जा सकता है.
एक लाख तक कम हो सकती है जवानों की संख्या
सूत्रों ने बताया कि थलसेना के शीर्ष अधिकारियों ने बल में सुधार को लेकर दो समितियों की अलग-अलग रिपोर्ट पर भी मंथन किया. ऐसे संकेत हैं कि अगले पांच साल में थलसेना में जवानों की संख्या में एक लाख तक की कटौती की जा सकती है. थलसेना में अभी करीब 13 लाख जवान हैं.
(इनपुट भाषा से)