नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) ने पूरी दुनिया को ये अहसास करा दिया कि अब भविष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) और ऑनलाइन का है. पढ़ाई से लेकर दफ्तर का कामकाज और कारोबार तक ऑनलाइन किया जा सकता है और जो इसमें महारत हासिल करेगा वही विजेता होगा.


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अगले हफ्ते तीन दिनों तक पूरी दुनिया के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)  के महारथी ऑनलाइन (Online) और डिजिटल (Digital) के क्षेत्र में भविष्य के बारे में सबसे बड़ा विचार मंथन करेंगे.


भारत से शामिल होने वाले विशेषज्ञों की संख्या सबसे ज्यादा
3 से 5 दिसंबर तक रूस (Russia) में आयोजित होने वाली Artificial Intelligence Journey 2020 कॉन्फ्रेंस में पूरी दुनिया के 10000 से ज्यादा लोग भाग ले रहे हैं लेकिन इनमें भारत से शामिल होने वाले विशेषज्ञों की संख्या सबसे ज्यादा है. लगभग 500 भारतीय आईटी और टेलीकॉम विशेषज्ञों के इस ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की संभावना है.



दुनिया में होने वाले पांच सबसे बड़े सम्मेलनों में से एक
रूस में Artificial Intelligence Journey का आयोजन 2016 से किया जा रहा है और ये इस विषय पर दुनिया में होने वाले पांच सबसे बड़े सम्मेलनों में से एक है. कोरोना महामारी के बाद पहली बार इसका आयोजन किया जा रहा है. इस महामारी के दौरान दुनिया में ज्यादातर काम ऑनलाइन हुए और पहली बार दुनिया ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का रोजमर्रा की जिंदगी में इतना इस्तेमाल किया. भारत इस क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञों के साथ-साथ इस विषय के माहिर काम करने वालों की तादाद के मामले में भारत पूरी दुनिया में बहुत आगे है. पिछले तीन दशकों में भारतीयों ने इस विषय में पूरी दुनिया को अपना  लोहा मनवाया है.


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ऑनलाइन और डिजिटल कारोबार में आएगी तेज़ी
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की वैक्सीन ईजाद होने और इस महामारी से छुटकारा पाने के बाद भी ऑनलाइन और डिजिटल कारोबार में लगातार तेज़ी आएगी क्योंकि इसके फ़ायदों ने आम लोगों को बहुत प्रभावित किया है. बैंकिंग से लेकर अपना मनपसंद खाना ऑर्डर करने तक में ऑनलाइन अब लोगों की पहली पसंद बन चुका है.


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भारत के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और डाटा साइंस के क्षेत्र में दुनिया पर छा जाने के लिए अपार संभावनाएं है. कॉन्फ्रेंस के आयोजक Sberbank के एग्जेक्यूटिव बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन Alexander Vedyakhin का कहना है कि भारत और रूस दोनों ही इस क्षेत्र में दुनिया में सबसे आगे हो सकते हैं. दोनों देशों के बीच लंबी रणनैतिक साझेदारी और सहयोग इस क्षेत्र में नए प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत काम आ सकता है.