DNA: सिर तन से जुदा या दिमाग सिर से जुदा, गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा?
Decapitation: क्या वाकई मुहर्रम पर कानपुर में सर तन से जुदा गैंग एक्टिव हुआ था ? वो कौन लोग थे..जिन्होंने ये नारा लगाया..और उनका मकसद क्या था.
Muharram Processions: मुहर्रम आया और चला गया. लेकिन मुहर्रम के जुलूसों में लगे सर तन से जुदा के नारे आज भी गूंज रहे हैं. कानपुर में मुहर्रम के जुलूस में भी ये विवादित नारा लगा था..जिसका वीडियो सामने आया है. लेकिन आखिर कानपुर में ये नारा क्यों लगा..इसका मकसद क्या था. क्या ये नारा..हिंदू भावनाएं आहत करने की टूलकिट बन चुका है..
गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा.
इसका मतलब ये कि जो भी पैगंबर मोहम्मद का अपमान करेगा उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा. पहले ये नारा ईशनिंदा के खिलाफ लगाया जाता था. लेकिन अब भारत में ये विवादित नारा इस्लामिक कट्टरता का प्रतीक बन चुका है. ये नारा अब लगाना फैशन बन चुका है...आपको याद होगा...लगभग दो वर्ष पहले अजमेर दरगाह की चौखट पर खड़े होकर यही नारा लगाया गया था..औऱ अब ये नारा हिंदुओं की भावनाएं आहत करने का टूल बना लिया गया है.
विवादित नारा कई जगह लगाया
इस बार मुहर्रम के जुलूसों में भी ये विवादित नारा कई जगह लगाया गया...तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर भी मौजूद है..ऐसा ही एक वीडियो कानपुर से सामने आया है..जहां मुहर्रम का ताजिया निकल रहा था..और भीड़ यही विवादित नारा लगा रही थी...
इसी वीडियो के आधार पर कानपुर पुलिस ने मामला दर्ज किया..और 50 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिनपर विवादित नारा लगाने का आरोप है...आशंका जताई जा रही है कि बड़ी साजिश के तहत कानपुर के रावतपुर में ऐसे नारे लगाए गए...क्योंकि जिस रास्ते से ये जुलूस गुजर रहा था, उस रास्ते में 5 हिंदू मंदिर हैं...
तो क्या वाकई मुहर्रम पर कानपुर में सर तन से जुदा गैंग एक्टिव हुआ था ? वो कौन लोग थे..जिन्होंने ये नारा लगाया..और उनका मकसद क्या था..ये जानने और समझने के लिए ज़ी न्यूज़ की टीम कानपुर के उसी इलाके में पहुंची..जहां मुहर्रम के दिन ये विवादित नारा लगाया गया था.
कहां से आया 'सर तन से जुदा' का नारा ?
तो उत्तर आपको हैरान नही करेगा..इस नारे का Origin है पाकिस्तान. साल 2011 में पाकिस्तान में..पंजाब प्रांत के गवर्नर..सलमान तासीर ने पाकिस्तान के बदनाम ईशनिंदा कानून की आलोचना की. आलोचना के बाद उन्हीं सलमान तासीर के ही बॉडीगार्ड मुमताज कादिरी ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.
इसके बाद कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक ने हत्यारे मुमताज को गाजी की उपाधि दी थी. औऱ तभी पहली बार..सिर तन से जुदा का नारा निकला था. इसके बाद पाकिस्तान में कट्टरपंथी संगठनों के लिए ये नारा War Cry की तरह बन गया था.
और इसी के बाद भारत के इस्लामी कट्टरपंथियों ने भी अपने मतलब के लिए इस नारे का इस्तेमाल किया. और अब पाकिस्तान से निकला ये नारा...हिंदुस्तान में हिंदुओं की हत्या के लिए उकसाने की टूलकिट बन चुका है. जिसका असर इस बार मुहर्रम पर खूब दिखा है.