Gurugram Fortis Hospital: डॉक्टरों को ऐसे ही नहीं भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल से कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला है जब डॉक्टरों ने 17 साल के लड़के के दिल के पास से दो किलो का ट्यूमर निकाला है. यह ट्यूमर दिल और फेफड़ों के बीच से ऑपरेशन करके निकाला गया है. गुड़गांव के रहने वाले सक्षम जैन की ज़िंदगी किसी आम स्कूली बच्चे के जैसी थी, लेकिन कुछ महीने पहले बार बार आ रहे बुखार ने सक्षम को परेशान कर दिया. लंबे समय से चल रहे बुखार को टायफॉयड यानी मियादी बुखार समझा गया लेकिन बात कुछ और ही निकल आई.


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ट्यूमर दिल और फेफड़ों के नजदीक
असल में जब टेस्ट में कुछ नहीं आया और टायफॉयड की दवाओं से कोई आराम नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने सीटी स्कैन किया. सीटी स्कैन में दो किलो वजन का एक टुकड़ा देखकर डॉक्टरों के होश उड़ गए. ये ट्यूमर छाती में ठीक दिल के पास और फेफड़ों के नज़दीक था. इसके वज़न से फेफड़े दब रहे थे और दिल पर प्रेशर बढ़ रहा था. हैरत की बात ये थी कि अब तक सक्षम को इस ट्यूमर की वजह से ना तो सांस लेने में परेशानी हुई थी और ना ही दिल की कोई दिक्कत हुई. हालांकि बच्चे की दाहिनी बाजू और गर्दन में दर्द हो रहा था.


एक दुर्लभ किस्‍म का ट्यूमर
गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ उद्गीथ धीर के मुताबिक बच्चे को एक दुर्लभ किस्‍म का ट्यूमर (थाइमोलिपोमा) है. ये एक ऐसी कंडीशन हैं जिसमें थाइमस ग्लैंड का साइज बढ़कर छाती और फेफड़ों के काफी बड़े हिस्‍से को ढक लेता है. ये एक इंच साइज़ का ग्लैंड जन्म के समय दिल के नजदीक होता है और धीरे धीरे उम्र के साथ साथ इसका साइज़ कम होने लगता है. लेकिन इस बच्चे में ये ग्लैंड बढ़ता चला गया और ट्यूमर बन गया.


फेफड़ों के फेल होने का खतरा
अगर कुछ और वक्त तक पता ना चलता तो इस लड़के को कभी भी हार्ट अटैक या फेफड़ों के फेल होने का खतरा हो सकता था जो जानलेवा साबित होता. बच्चे के फेफड़ों के बगल से कट लगाकर इस खतरनाक ट्यूमर को बाहर निकाला जाना था. दिल को भी बचाना था और आसपास की ब्लड वैसल्स को भी. ऑपरेशन सफल रहा और अब 17 साल का सक्षम स्कूल जाने के लिए फिट है. हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि हमारे शरीर में ऐसी ग्रोथ कई बार बिना किसी लक्षण के होती रहती है जो बड़े साइज़ के ट्यूमर या कैंसर में बदल सकती है. इसीलिए हर किसी को साल में एक बार अपने मेडिकल चेकअप ज़रुर करवा लेने चाहिए.