लखनऊ में चल रहा था प्रतिबंधित पक्षियों का धंधा, 3 तस्कर गिरफ्तार
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लखनऊ में चल रहा था प्रतिबंधित पक्षियों का धंधा, 3 तस्कर गिरफ्तार

पकड़े गए तस्कर तोतों की कई प्रजातियां लखीमपुर खीरी, सीतापुर व शाहजहांपुर आदि जिलों के बहेलियों से खरीदते थे और इन पक्षियों को पटना व कोलकाता में ऊंचे दामों पर बेचते थे. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने राजधानी में चल रहे अवैध पक्षी व्यापार पर अंकुश लगाने की दिशा में एक कदम बढ़ाया. एसटीएफ ने प्रतिबंधित पक्षियों की तस्करी करने वाले 3 तस्करों को गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों के कब्जे से 285 प्रतिबंधित देसी तोते बरामद हुए हैं. पकड़े गए तस्कर तोतों की कई प्रजातियां लखीमपुर खीरी, सीतापुर व शाहजहांपुर आदि जिलों के बहेलियों से खरीदते थे और इन पक्षियों को पटना व कोलकाता में ऊंचे दामों पर बेचते थे. 

यूपी एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि पकड़े गए तस्कर मोहम्मद जैद, रामू और रंजीत कुमार सीतापुर जनपद के खैराबाद के रहने वाले हैं. वहीं फरार बदमाश की पहचान मो. सरताज निवासी सीतापुर के रूप में हुई है.

उन्होंने बताया कि इन लोगों को एसटीएफ व वन विभाग की संयुक्त टीम ने उस वक्त मड़ियांव पुल के नीचे से गिरफ्तार किया, जब ये लोग प्रतिबंधित तोतों को नक्खास पक्षी बाजार में बेचने के लिए अपनी टाटा ऐस गाड़ी से सीतापुर से आए थे. हालांकि मौके से एक तस्कर मो. सरताज भागने में सफल हो गया. गिरफ्तार किए गए तस्करों से 285 देसी तोते, गाड़ी, 4 मोबाइल और 3200 रुपये बरामद किए गए.

एसएसपी ने बताया कि वन विभाग की शिकायत पर एसटीएफ ने पुराना लखनऊ व चौक क्षेत्र से यूपी भर में चल रहे अवैध पक्षियों की तस्करी व बिक्री मामले में तफ्तीश शुरू की थी. शुरुआती जांच में पता चला कि लखनऊ के थाना चौक क्षेत्र में विक्टोरिया स्ट्रीट पर अकबरी गेट के पास लंबे समय से पक्षियों का व्यापार हो रहा है. यहां के व्यापारी प्रतिबंधित चिड़ियों की आड़ में वन्य जीव अपराध अधिनियम-1972 के शिड्यूल 1 से 4 तक के पक्षियों का व्यापार कर रहे हैं.

एसएसपी ने बताया कि पकड़े गए तस्कर तोतों की कई प्रजातियां जनपद लखीमपुर खीरी, सीतापुर व शाहजहांपुर आदि के बहेलियों से खरीदते हैं. इसी तरह तीतर व बटेर भी स्थानीय बहेलियों द्वारा इन्हें बेचे जाते हैं. आरोपियों के खिलाफ गिर अवध वन प्रभाग, लखनऊ के सिटी रेंज कुकरैल में आईपीसी की धारा 2/9/39/48ए/49/50/51 वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है.

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