कंपनी का दावा है कि सिर्फ 60 ऐसे ड्रोन से पूरे ब्रिटेन को 5G कनेक्टिविटी और हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है. तब 5G कनेक्टिविटी के लिए जगह-जगह न टावर लगाने की जरूरत होगी और न ही उनके रख रखाव पर मोटा पैसा खर्च करना होगा.
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डेटा आज के वक्त की बुनियादी जरूरत है. शहरी इलाकों में हाई स्पीड वाला डेटा आसानी से मिल जाता है. ग्रामीण इलाकों में बड़ा मोबाइल नेटवर्क न होने से मुश्किल पेश आती है. इस समस्या का बड़ा हल खोज लिया गया है. ब्रिटेन में ऐसे ड्रोन का परीक्षण किया गया जो हवा में मंडराएगा. ऊपर से ही एक बड़े इलाके को अपने एंटीना की मदद से सीधी कनेक्टिविटी से जोड़ देगा. बड़ी बात ये है कि हवा में मंडराने वाला ये ड्रोन 5G कनेक्टिविटी का प्रसारण करेगा. इस नई तकनीक से मोबाइल पर बात करने से ले कर, हाई स्पीड इंटरनेट तक सब आसानी से मिल जाया करेगा.
मोबाइल नेटवर्क की 4G कनेक्टिविटी का फायदा अपने देश में साफ दिखता है. तेज इंटरनेट से बड़े-बड़े काम चुटकियों में हो जाते हैं. दूसरी तरफ सच ये भी है कि दुनिया 5G नेटवर्क बनाने में जुटी है. 5G नेटवर्क सूचना तकनीक का एक्सप्रेस-वे होगा. हालांकि इस 'एक्सप्रेस-वे' को बनना महंगा काम है. 5G कनेक्टिविटी की टेक्नॉलजी गिनती की कंपनियों के पास है. इसके नेटवर्क के लिए बड़ा बुनियादी ढांचा खड़ा करना पड़ेगा. जाहिर है भारत को इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा. अलबत्ता, ड्रोन के जरिए 5G कनेक्टिविटी की तकनीक बाजार में आ गई तो बड़ी जल्दी ही गांव-गांव में हाई स्पीड डेटा आसानी से उपलब्ध हो जाएगा.
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इस मकसद से ही ब्रिटेन की कैम्ब्रिज कंसल्टेंट और स्ट्रैटोस्फेरिक प्लैटफॉर्म्स लिमिटेड ने एक नई तकनीक का परीक्षण किया है. ये तकनीक ऐसे ड्रोन की है जो जमीन से 20 हज़ार मीटर की ऊंचाई पर उड़ेंगे. इनके डैने किसी जम्बो जेट के डैनों के बराबर ही होंगे. हाइड्रोजन ईंधन से उड़ने वाले ये ड्रोन 140 किलोग्राम वजन के टेलीकॉम उपकरण अपने ऊपर लाद सकेंगे और उनके साथ लगातार 9 दिन तक हवा में मंडराते रहेंगे. इस दौरान वो अपने ऊपर रखे टेलीकॉम उपकरण और एंटीना की मदद से 140 किलोमीटर लंबे चौड़े इलाके में 5G कनेक्टिविटी का प्रसारण करेंगे यानि ये हवा में उड़ते हुए एंटीना का किरदार अदा करेंगे. उनसे प्रसारित 5G कनेक्टिविटी को सड़क जैसे किसी एक इलाके पर भी सीधे क्रेंदित किया जा सकता है.
कंपनी का दावा है कि सिर्फ 60 ऐसे ड्रोन से पूरे ब्रिटेन को 5G कनेक्टिविटी और हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है. तब 5G कनेक्टिविटी के लिए जगह-जगह न टावर लगाने की जरूरत होगी और न ही उनके रख रखाव पर मोटा पैसा खर्च करना होगा. हालांकि ये टेक्नॉलजी अभी परीक्षण के स्तर पर ही है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि 2024 तक ऐसे ड्रोन का संचालन शुरू हो जाएगा.
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