आगरा जिलाधिकारी ने एक्शन लेते हुए रवि हॉस्पिटल को कोविड अस्पतालों की सूची से बाहर करते हुए डिबार कर दिया है. मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी है.
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आगरा: आगरा के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज का बिल 9.60 लाख रुपए बनाया. इसमें 4.65 लाख रुपए सिर्फ दवाइयों पर खर्च होना बताया गया. यह अस्पताल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डा. रवि पचौरी का है. मरीज के परिजनों ने इसकी शिकायत आगरा प्रशासन से की.
अस्पताल पर जिलाधिकारी का एक्शन
आगरा जिलाधिकारी ने एक्शन लेते हुए रवि हॉस्पिटल को कोविड अस्पतालों की सूची से बाहर करते हुए डिबार कर दिया है. मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी है और कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए 9.60 लाख रुपए वसूले जाने को लेकर अस्पताल प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा है. उत्तर प्रदेश में मनमाना बिल वसूली के मामले में किसी प्राइवेट अस्पताल पर हुई यह पहली कार्रवाई है.
संक्रमित को बचाया भी नहीं जा सका
कृष्णा नगर निवासी अरुण कंसल (मरीज कोड-142) कोविड होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे. इलाज के दौरान 28 अप्रैल को उनकी मौत हो गई. अस्पताल के बिल नंबर 189 के मुताबिक अरुण के इलाज की कुल राशि 9,60,121 (नौ लाख 60 हजार 121 रुपए) दर्शाई गई. इसमें 4,65,876 रुपए सिर्फ दवाइयों का बिल बनाया गया.
सरकार ने तय की हैं अधिकतम दरें
शासनादेश के मुताबिक अस्पतालों की निर्धारित दरें आठ हजार से लेकर 18 हजार रुपए प्रतिदिन तक हैं. 18 हजार रुपए प्रतिदिन में वेंटीलेटर समेत सभी उपकरण, दवाएं और खाना तक शामिल है. डीएम को इस मामले की शिकायत की गई. उन्होंने अस्पताल के इस कृत्य को शासनादेश का उल्लंघन करार दिया है. अग्रिम आदेश तक अस्पताल को नए मरीजों के भर्ती करने पर प्रतिबंध लगा दिया.
अस्पताल संचालक का क्या है कहना?
अस्पताल संचालक डा. रवि पचौरी का कहना है कि यह मरीज बीमा कंपनी के जरिए भर्ती हुआ था. ऐसे मामलों में शासनादेश प्रभावी नहीं होता. दूसरा यह कि मरीज 19 दिन वेंटीलेटर पर रहा था. इतनी ही नहीं, तीमारदारों ने चेक से भुगतान किया था. चेक देने के बाद उन्होंने बैंक से भुगतान पर रोक लगा दी है. यह अपराध की श्रेणी में आता है. हम मरीज और तीमारदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने जा रहे हैं.
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