अध्यादेश लाने से पहले साधु-संतों से नहीं ली गई राय, अब योगी सरकार के विरोध में उतरा अखाड़ा परिषद
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अध्यादेश लाने से पहले साधु-संतों से नहीं ली गई राय, अब योगी सरकार के विरोध में उतरा अखाड़ा परिषद

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने योगी सरकार द्वारा लाए जा रहे हैं धार्मिक स्थल रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन अध्यादेश 2020 का किया विरोध. महंत नरेंद्र गिरी ने कहा अध्यादेश लाने से पहले साधु-संतों से लेनी चाहिए राय.

 

अध्यादेश लाने से पहले साधु-संतों से नहीं ली गई राय, अब योगी सरकार के विरोध में उतरा अखाड़ा परिषद

मो.गुरफान/प्रयागराज:  साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bhartiya Akhara Parishad) ने योगी सरकार (Yogi Government) द्वारा लाए जा रहे धार्मिक स्थल रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन अध्यादेश 2020 (Religious Place Registration and Regulation Ordinance 2020) का विरोध किया है.

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अध्यादेश लाने से पहले लें साधु-संतों से राय
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) ने कहा है कि यूपी में सभी मठ और मंदिर सुरक्षित हैं, उन्हें किसी तरह का कोई खतरा नहीं. उन्होंने कहा कि अगर धार्मिक स्थलों के लिए कोई अध्यादेश लाना बेहद जरूरी है और इसके लिए कोई निदेशालय गठन करना जरूरी है तो इसके पहले संतों की भी राय ली जानी चाहिए.

साधु-संतों को राज्य सरकार और अधिकारियों के अधीन करना उचित नहीं
महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि किसी भी तरीके से साधु-संतों को राज्य सरकार और अधिकारियों के अधीन करना उचित नहीं होगा. नरेंद्र गिरी ने कहा है कि यूपी में पहले ही से धार्मिक स्थलों को लेकर जो व्यवस्था चली आ रही है वो ठीक है. साथ ही महंत नरेंद्र गिरी ने ये भी कहा है कि सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ खुद भी एक संत है और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं इसलिए वे जो भी कदम उठाएंगे सोच-समझकर ही उठाएंगे.

ऐसा सरल कानून हो जिससे मठ- मंदिर सरकार के अधीन न हो
महंत नरेंद्र गिरी ने कहा है इसके बाद भी सरकार को एक बार साधु-संतों की राय अध्यादेश लाने से पहले ले लेनी चाहिए. अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि सरकार अगर कानून लाती है तो कोई ऐसा सरल कानून लाए जिससे मठ और मंदिर सरकार के अधीन न हो.

सरकार किसी तरह से अधिग्रहण न करें
मठों और मंदिरों का भी सरकार किसी तरह से अधिग्रहण भी न करे. उन्होंने कहा है कि कानून व्यवस्था को लेकर अगर कोई नियम कानून सरकार बनाती है तो उसका मठ और मंदिर पालन करने के लिए जरूर बाध्य होंगे और उसका पालन भी करेंगे.

अध्यादेश लाने की तैयारी में सरकार
उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और संचालन के लिए योगी सरकार जल्द अध्यादेश लाएगी. इसके लिए दूसरे राज्यों के कानूनों और प्रस्तावों का अध्ययन किया जा रहा है.  बता दें कि इससे पहले कैबिनेट बैठक में सीएम योगी की अध्यक्षता में धार्मिक कार्यों के संचालन लिए निदेशालय गठन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है. अब धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन के लिए सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी में है. यूपी सरकार मंदिरों, मस्जिदों और दूसरे धार्मिक स्थलों के संचालन के लिए नियम-कायदे तय करने की कवायद कर रही है. उसी सिलसिले में गाइडलाइंस बनाने का काम चल रहा है.

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष पद
साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद साल 1954 में स्थापना हुई थी. जिसमें कुल 13 अखाड़े शामिल हुए. इसके बाद से इसी परिषद द्वारा सभी अखाड़ों के कुंभ और अर्धकुंभ में स्नान का वक्त और उनकी जिम्मेदारी तय की जाती है जिसे सभी को मानना पड़ता है.  

अखाड़े की स्थापना के समय तय किया गया था कि हर अर्धकुंभ से पहले अखाड़े के अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा. परंपरा 2004 तक चलती रही. 2004 में चुनाव हुए और महंत ज्ञान दास को अध्यक्ष चुना गया. वो अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी के महंत हैं. 2014 में महंत ज्ञान दास की जगह पर नरेंद्र गिरी को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया. सिंहस्थ कुंभ 2016 में भी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर महंत नरेंद्र गिरी को ही मंजूरी मिली.

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