अखिलेश साथ आने को तैयार लेकिन क्या मायावती भूल पाएंगी गेस्ट हाउस कांड?
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand320875

अखिलेश साथ आने को तैयार लेकिन क्या मायावती भूल पाएंगी गेस्ट हाउस कांड?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस संकेत के बाद कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए वह 'बुआ' जी मायावती का साथ लेने से परहेज नहीं करेंगे, उनके इस बयान से सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है. कुछ एग्जिट पोल ने भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान जताया है जबकि कुछ में विधानसभा की त्रिशंकु स्थिति होना बताया गया है. ऐसे में गठबंधन की सरकार बनाने के लिए बसपा सबसे अहम पार्टी साबित हो सकती है. बसपा ने भाजपा के साथ तीन बार राज्य में सरकार बनाई है और बसपा सरकार बनाने के लिए यदि भाजपा के साथ जाती है तो वह असहज बात नहीं होगी लेकिन बसपा यदि अपने धुर प्रतिद्वंद्वी सपा के साथ जाती है तो यह अपने आप में चौंकाने वाली बात होगी.

अखिलेश साथ आने को तैयार लेकिन क्या मायावती भूल पाएंगी गेस्ट हाउस कांड?

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस संकेत के बाद कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए वह 'बुआ' जी मायावती का साथ लेने से परहेज नहीं करेंगे, उनके इस बयान से सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है. कुछ एग्जिट पोल ने भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान जताया है जबकि कुछ में विधानसभा की त्रिशंकु स्थिति होना बताया गया है. ऐसे में गठबंधन की सरकार बनाने के लिए बसपा सबसे अहम पार्टी साबित हो सकती है. बसपा ने भाजपा के साथ तीन बार राज्य में सरकार बनाई है और बसपा सरकार बनाने के लिए यदि भाजपा के साथ जाती है तो वह असहज बात नहीं होगी लेकिन बसपा यदि अपने धुर प्रतिद्वंद्वी सपा के साथ जाती है तो यह अपने आप में चौंकाने वाली बात होगी.

यह भी पढें- 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम LIVE​

इसकी वजह भी है बसपा सुप्रीमो अपने साथ 2 जून 1995 को हुए बर्ताव को अब भी शायद भूली नहीं होंगी। इस दिन उनके साथ जो कुछ हुआ उसे राजनीति में 'गेस्ट हाउस कांड' के नाम से जाना जाता है. इस सपा के कथित नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मायावती पर हमला किया और उनके साथ बदसलूकी की। इस घटना को मायावती आज भी भूली नहीं है और समय-समय पर वह इस घटना का जिक्र भी करती आयी हैं। यह गेस्ट हाउस कांड ही है जिसकी वजह से मायावती सपा से साथ चार हाथ की दूरी बनाकर चलती आयी हैं और उसे गुंडों की पार्टी का नाम दे रखा है. लेकिन राजनीतिक मजबूरियों के चलते यदि मायावती सपा के साथ आती हैं तो यह सवाल उठेगा कि गेस्ट हाउस में अपने साथ हुई ज्यादती को क्या उन्होंने भुला दिया है.  

1993 में सपा-बसपा में हुआ था गठजोड़

1993 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बीएसपी प्रमुख कांशीराम ने गठजोड़ किया था. उस समय उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा था और कुल सीट थीं 422. मुलायम 256 सीट पर लड़े और बीएसपी को 164 सीट दी थीं. चुनाव में एसपी और बीएसपी गठबंधन जीता. एसपी को 109 और बीएसपी को 67 सीट मिली थीं इसके बाद मुलायम सिंह यादव बीएसपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. लेकिन, आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी. इस वजह से मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई.

क्या है गेस्ट हाउस कांड

सरकार को बचाने के लिए जोड़-घटाव किए जाने लगे. ऐसे में अंत में जब बात नहीं बनी तो नाराज सपा के कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए, जहां मायावती कमरा नंबर-1 में ठहरी हुई थीं. 2 जून 1995 के दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हुआ वह शायद ही कहीं हुआ होगा. मायावती पर गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में हमला हुआ था. 2 जून 1995 को मायावती लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं. तभी दोपहर करीब तीन बजे कथित समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ ने अचानक गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया. कांशीराम के बाद बीएसपी में दूसरे नंबर की नेता मायावती उस वक्त को जिंदगी भर नहीं भूल सकतीं. उस दिन एक समाजवादी पार्टी के विधायकों और समर्थकों की उन्मादी भीड़ सबक सिखाने के नाम पर दलित नेता की आबरू पर हमला करने पर आमादा थी.

मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहनजी' में गेस्टहाउस में उस दिन घटी घटना की जानकारी विस्तार से दिया गया.

बताया जाता है कि, 1995 के गेस्टहाउस कांड में जब कुछ कथित तौर पर सपा के गुंडों ने बसपा सुप्रीमो मायावती को कमरे में बंद करके मारा और उनके कपड़े फाड़ दिए थे. किसी तरह मायावती ने अपने को कमरे में बंद किया था और बाहर से समाजवादी पार्टी के विधायक और समर्थक दरवाजा तोड़ने में लगे हुए थे. इस बीच, कहा जाता है कि अपनी जान पर खेलकर बीजेपी विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी मौके पर पहुंचे और सपा विधायकों और समर्थकों को पीछे ढकेला. बता दें कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी की छवि भी दबंग नेता की थी. यूपी की राजनीति में इस कांड को गेस्टहाउस कांड कहा जाता है और ये भारत की राजनीति के माथे पर कलंक है. खुद मायावती ब्रम्हदत्त द्विवेदी को भाई कहने लगीं और सार्वजनिक तौर पर कहती रहीं कि अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने मेरी जान बचाई थी.

Trending news