देश में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे को लेकर सियासत गर्म है. देश भर से राजनेताओं के बयानों का सिलसिला जारी है.
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नई दिल्ली/ लखनऊ: एनआरसी के ड्राफ्ट को लेकर देशभर में छिड़ी बहस के बीच, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर मामले में अपना पक्ष रखा है. अखिलेश यादव ने गुरुवार (2 जुलाई) को ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट किया है कि सबको स्वीकार करने की भावना, सहिष्णुता व वसुधैव कुटुम्बकम हमारी संस्कृति के मूल मूल्य हैं. इसीलिए हमें नागरिकता के विषय पर मानवीय पहलू को समझकर ही कोई निर्णय करना चाहिए, लेकिन इसमें न तो राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता होना चाहिए और न ही कोई संकीर्ण राजनीतिक सोच या तुच्छ लक्ष्य.
सबको स्वीकार करने की भावना, सहिष्णुता व वसुधैव कुटुम्बकम हमारी संस्कृति के मूल मूल्य हैं. इसीलिए हमें नागरिकता के विषय पर मानवीय पहलू को समझकर ही कोई निर्णय करना चाहिए, लेकिन इसमें न तो राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता होना चाहिए और न ही कोई संकीर्ण राजनीतिक सोच या तुच्छ लक्ष्य.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 2, 2018
देश में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे को लेकर सियासत गर्म है. देश भर से राजनेताओं के बयानों का सिलसिला जारी है. आपको बता दें कि बता दें कि असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के दूसरे एवं अंतिम मसौदा को सोमवार (30 जुलाई) को जारी कर दिया गया है. इसमें कुल 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोग योग्य पाए गए हैं. इनके अलावा 40 लाख लोगों के वहां अवैध रूप से रहने का दावा किया जा रहा है.
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ये आंकड़े एनआरसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जारी किए हैं. एनआरसी का कहना है कि ये सिर्फ मसौदा है, अंतिम सूची नहीं है. एनआरसी के रजिस्ट्रार जनरल शैलेश ने जानकारी दी है कि जिन लोगों का नाम पहले मसौदे में था और अंतिम मसौदे से गायब है, उन्हें एनआरसी की ओर से व्यक्तिगत पत्र भेजा जाएगा. इसके जरिये वह अपना दावा पेश कर सकेंगे.
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असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन (NRC) 1951 को अपडेट करने जैसे मुश्किल काम को अंजाम देने का श्रेय राज्य के प्रिंसिपल सेक्रेट्री (होम) प्रतीक हालेजा को दिया जा रहा है. प्रतीक इस बेहद मुश्किल काम के लिए स्टेट कॉर्डिनेटर की भूमिका में हैं और इसका पहला ड्राफ्ट 31 दिसंबर 2017 को जारी किया गया था, जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में केवल 1.9 करोड़ को भारत का वैध नागरिक माना गया था. इसके बाद से ही देशभर में सियासत गर्म है.